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प्रादेशिक

डबल इंजन की सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नरक से निकाल कर बेहतर जीवन दियाः सीएम योगी

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Safe and Clean Chhath

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लखनऊ। पांच वर्ष पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगा, कर्फ्यू और पलायन नियति बन चुकी थी, कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं करता था, बेटियों की सुरक्षा खतरे में थी, लेकिन पिछले पांच साल में प्रदेश में कोई भी दंगा नहीं हुआ, सुरक्षा का बेहतर माहौल बना औऱ पेशेवर माफिया और अपराधियों को गले मे तख्ती डालकर जान की भीख मांगने पर मजबूर कर दिया। बेटियां माताएं व बहनें जिन अपराधियों से कांपती थीं, आज वही माफ़िया कह रहे हैं कि जान बक्श दो। हम ठेला लगाकर रोजी-रोटी कमाएंगे। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजनौर में जन चौपाल में कहीं।

इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने सपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पहले इसी उत्तर प्रदेश में सड़कें नहीं बनती थीं लेकिन राहजनी होती थी। पांच वर्ष में भाजपा की डबल इंजन की सरकार ने इस पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नरक से निकाल कर बेहतर जीवन दिया। सपा बसपा के समय बिजली नहीं आती थी, क्योंकि चांदनी रात चोरों को अच्छी लगती है। ये डकैती इसी अंधेरे में डलवाते थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि याद करिये यही दो लड़कों की जोड़ी थी, जब मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ था। एक लड़का दिल्ली में बैठा था तो दूसरा लखनऊ में बैठकर दंगाइयों को प्रश्रय देता था। आज जवाब देने का अवसर फिर से आ गया है। आज दंगाइयों को मालूम है कि दंगा करेंगे तो कहां पहुंच जाएंगे। हम विकास भी कराएंगे तो बुलडोजर भी चलाएंगे। दंगाइयों, अपराधियों, माफियाओं के लिए सरकार का बुलडोज़र तैयार है।

डबल इंजन की सरकार में जनता को डबल और ट्रिपल लाभः योगी

मुख्यमंत्री ने पांच साल में सरकार के विकास कार्यों के बारे में बताते हुए कहा कि आपने पांच वर्ष में डबल इंजन की सरकार के काम को देखा, सरकार ने जनता को डबल और ट्रिपल तरीके से लाभ दिया। डबल इंजन की सरकार में मुफ्त आवास, मुफ्त राशन की डबल डोज और विभिन्न योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के लोगों को मिला। गरीब किसानों को फसल ऋणमाफी रही हो या फिर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, या फिर 1 लाख 58 हजार करोड़ मूल्य का गन्ना भुगतान हो, सब तरह की सुविधाएं देने के प्रयास हुए हैं। किसानों को लागत को डेढ़ गुना कीमत मिले, इसकी व्यवस्था की जा रही है।

भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में बेहतर कोरोना प्रबन्धन की वजह से लोगों का जीवन और आजीविका बचाई गई। उन्होंने लोगों को जोड़ते हुए पूछा कि यहां सभी लोगों ने वैक्सीन ले लिया है। तो जनता ने हां में जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग कहते थे कि यह मोदी वैक्सीन और भाजपा वैक्सीन है अब उन्हें जवाब देना है। उन चेहरों पर वोट के माध्यम से तमाचा मारिये। जब संकट की साथी भाजपा है तो किसी की जरूरत नहीं। जो संकट का साथी नहीं, वह अवसरवादी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी खराब मौसम की वजह से नहीं शामिल हो पाए, लेकिन हम उन्हें वर्चुअल सुनेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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