प्रादेशिक
2017 से पहले सिर्फ 12 सरकारी मेडिकल कालेज, योगी सरकार में बने 33 सरकारी मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने लोक कल्याण संकल्प जारी करते हुए योगी सरकार की पांच साल की उपलब्धियों और 2017 से पहले की उत्तर प्रदेश की स्थितियों का तुलनात्मक आंकड़ा रखते फर्क साफ है का अंतर समझाने की कोशिश की है। भाजपा ने संकल्प पत्र के जरिये एक बार फिर यह बताया है कि किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली सपा के राज में किसानों की कर्जमाफी और मदद शून्य थी । जबकि भाजपा सरकार में 86 लाख किसानों के 36 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ हुए। 2.5 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के रूप में सालाना 6 हजार रुपये की मदद दी जा रही है।
‘फर्क साफ है’ शीर्षक से संकल्प पत्र में भाजपा ने महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सपा सरकार की तुलना में योगी सरकार में हुए कार्यों से यह साबित करने की कोशिश की है कि हमने किसान, गांव, गरीब, युवा और महिलाओं के विकास के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितना काम किया है, उसके आगे 2017 के पहले की सरकार कहीं टिक नहीं सकती है । गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान का उल्लेख करते हुए संकल्प पत्र में बताया गया है कि 2012 से 2017 तक मात्र 90 हजार करोड़ का भुगतान हुआ था जबकि योगी सरकार 1.59 लाख करोड़ बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान कर पूरे देश में नंबर 1 बनी है। 2017 से पहले प्रदेश में महिलाओं के लिए असुरक्षित वातावरण था। योगी सरकार ने न केवल आधी आबादी को सुरक्षित वातावरण दिया अपितु वीरांगना अवंतीबाई लोधी, वीरांगना ऊदा देवी और वीरांगना झलकारी बाई बटालियन का गठन किया।
2017 से पहले एक भी मुफ्त कनेक्शन नहीं मिले, वहीं 2017 के बाद यूपी 1.67 करोड़ महिलाओं को मुफ्त कनेक्शन देने वाला पहला प्रदेश बना । 2017 से पहले गरीबों का शोषण हुआ, श्रमिकों का भत्ता शून्य था, पेंशन मात्र तीन सौ रूपये माह मिलती थी। 2017 के बाद गरीब कल्याण को तत्पर मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार 15 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त अनाज दे रही है। 3 करोड़ मजदूरों को मार्च 2022 तक 500 प्रति माह भत्ता व 98 लाख नागरिकों को प्रति माह 1000 पेंशन दे रही है।
2017 से पहले युवाओं के नाम पर मात्र नौकरी थी । योगी सरकार ने 5 लाख युवाओं को बिना किसी भेदभाव के सरकारी नौकरी और 3 लाख को संविदा पर नौकरी दी । 2017 से पहले सरकारी स्कूल खस्ताहाल थे, 2017 के बाद 1.4 लाख सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हुआ। इसी क्रम में 2017 से पहले सिर्फ 12 सरकारी मेडिकल कालेज संचालित थे, एम्स का संचालन शून्य था। 2017 के बाद रायबरेली और गोरखपुर में एम्स बने और उनका संचालन हुआ। इसी तरह 33 सरकारी मेडिकल कॉलेज का निर्माण और संचालन शुरू हुआ। 2017 से पहले यूपी में माफिया राज और भ्रष्टाचार में नम्बर 1 था। योगी सरकार ने प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त शासन दिया। माफिया की 1866 करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त की । 2017 से पहले उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य था, निवेशकों का पलायन था और कागजों में ही निवेश था। 2017 के बाद उत्तर प्रदेश, देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। 2017 से पहले केवल दो एक्सप्रेस वे और दो एयरपोर्ट थे। योगी सरकार में 5 एक्सप्रेसवे और पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला उत्तर प्रदेश पहला प्रदेश है । इसी तरह 2017 से पहले यूपी में शौचालय निर्माण में शून्य था । 2017 के बाद 2.61 करोड़ शौचालय का निर्माण कर यूपी स्वच्छ भारत मिशन में देश का नंबर 1 प्रदेश बना है।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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