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अन्तर्राष्ट्रीय

मारा गया तालिबान के आत्मघाती हमलों का गॉडफादर, आईएस खुरासान प्रांत ने की हत्याा

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काबुल। तालिबान के आत्‍मघाती हमलों के गॉडफादर कहे जाने वाले कुख्‍यात आतंकी रहीमुल्‍ला हक्‍कानी की आतंकवादी संगठन आईएसआईएस खुरासान प्रांत ने हत्‍या कर दी है। अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल के एक मदरसे में रहीमुल्‍ला हक्‍कानी की बम विस्‍फोट करके हत्‍या कर दी गई।

तालिबान ने भी स्‍वीकार किया है कि दुश्‍मन के कायराना हमले में रहीमुल्‍ला की मौत हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि रहीमुल्‍ला हक्‍कानी आईएसकेपी आतंकियों के खिलाफ तालिबान के लिए वैचारिक रक्षा कवच की तरह से था। उसकी मौत से अब अफगानिस्‍तान में दोनों ही आतंकी गुटों में एक नई जंग छिड़ सकती है।

रहीमुल्‍ला हक्‍कानी को तालिबानी गृहमंत्री शिराजुद्दीन हक्‍कानी का गुरु भी माना जाता था। तालिबान के हवाले से बताया जा रहा है कि हमलावर पहले ही अपने पैरों को बम विस्‍फोट में गंवा चुका था और वह नकली पैरों के सहारे चल रहा था। उसने विस्‍फोटक को इसी नकली पैर के अंदर छिपा रखा था।

तालिबान ने कहा है कि यह उनके लिए बहुत बड़ी क्षति है। रहीमुल्‍ला तालिबान के सबसे प्रबल समर्थकों में से एक था। उसने बहुत लंबा वक्‍त पाकिस्‍तान में बिताया था। वह तालिबान को आईएसआईएस के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित करता रहता था।

तालिबान बनाम आईएसकेपी की जंग और तेज

बताया जा रहा है कि इस हमले में हकीमुल्‍ला का मासूम बच्‍चा भी मारा गया है। हकीमुल्‍ला पर इससे पहले भी आईएस की ओर से कई हमले हुए थे जिसमें वह बाल-बाल बच गया था। इस हत्‍या के बाद अब अफगानिस्‍तान में तालिबान बनाम आईएसकेपी की जंग और तेज हो सकती है।

आईएसकेपी ने हाल के दिनों में अफगानिस्‍तान में मस्जिदों और अल्‍पसंख्‍यकों के खिलाफ कई हमले किए हैं। इसमें सिखों के गुरुद्वारे पर हमला शामिल है। अफगानिस्‍तान में आईएस आतंकी साल 2014 से ही सक्रिय हैं और अफगानिस्‍तान में तालिबानी सरकार के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं।

हकीमुल्‍ला को तालिबान के उदारवादी धड़े में गिना जाता था जो लड़कियों की शिक्षा का समर्थन करता था। उसने हिजाब को कड़ाई से लागू किए जाने का भी विरोध किया था। हकीमुल्‍ला की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी सुरक्षा खुद पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई करती थी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस हत्‍याकांड से अब बड़ी संख्‍या में तालिबानी नेताओं को अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह लड़ाई अब तालिबान के लिए बहुत महंगी साबित होने जा रही है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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