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उत्तर प्रदेश

यूपी के ढाई करोड़ से अधिक किसानों को मिली सम्मान निधि की 12वीं क़िस्त

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सोमवार का दिन बेहद खास रहा। नई दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री किसान सम्मान सम्मेलन के खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ओर जहां प्रदेश के 2.59 करोड़ किसानों के बैंक खाते में पीएम सम्मान निधि (PM Samman Nidhi) की 12वीं क़िस्त भेजी तो खाद की 66 खुदरा दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में उच्चीकरण का तोहफा भी मिला। विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्चुअल माध्यम से सहभाग किया।

उप्र को मिला 66 किसान समृद्धि केंद्रों का उपहार

प्रधानमंत्री ने देशभर में जिन 600 समृद्धि केंद्रों का शुभारंभ किया, उनमें इफको द्वारा रामनगर वाराणसी में स्थापित केन्द्र के साथ कुल 66 सेंटर हैं। जनपद, विकासखंड, तहसील अथवा ग्राम स्तर समृद्धि केंद्र किसानों के लिए वन स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करेंगे।

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इन केंद्रों पर मिट्टी, पानी, बीज एवं खाद के परीक्षण की सुविधा रहेगी, साथ ही, विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी भी कृषकों को दी जाएगी। यहां खाद, बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक, कीटनाशक एवं लघु कृषि यंत्र भी बिक्री हेतु उपलब्ध रहेंगे।

बड़े उपयोगी हैं प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र

● एक ही छत के नीचे उचित मूल्य पर गुणवता युक्त उर्वरक, बीज एवं कृषि रसायन की उपलब्धता होगी।

● प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्द्रो पर मृदा, बीज, उर्वरक, जल की उपलब्धता कराई जाएगी जिससे किसान इनका लाभ ले सकें।

● किसानों को विभिन्न फसलों के उच्च तकनीकी पैकेज एवं प्रेक्टिसेस को एडोप्ट करने में मदद मिलेगी।

● सरकार की विभिन्न योजनाओ की जानकारी आसानी से मिल सकेगी।

● मृदा परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का प्रयोग समन्वित एवं संतुलित उर्वरक प्रयोग को बढ़ावा देने का प्रयास।

● विभिन्न मंडियों में कृषि यंत्रों के कीमत एवं एराविल्स सम्बन्धी जानकारी आसानी से मिलेगी।

● मौसम पूर्वानुमान, फसल बीमा, ड्रोन की खरीदारी और उड़ाने संबंधित प्रशिक्षण पाने में मदद।

● छोटे और बड़े कृषि यंत्रों की बिक्री या कस्टम हायरिंग सेंटर के अंतर्गत कृषको को उपलब्ध होंगे।

● किसानों के बीच अच्छे कृषि तकनीक को अपनाने के लिए जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहयोगी होंगे।

● सीएससी सेंटर के माध्यम से कृषको को आधार कार्ड, जाति प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र, खसरा/खतौनी आदि बनवाने में सहायता होगी।

● प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 20 प्रतिशत तक बायो एवं ऑर्गेनिक उत्पाद रासायनिक उर्वरकों के साथ उपलब्ध होंगे।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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