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योगी सरकार ने मूल सुविधाओं के साथ चंदौली के नक्सलग्रस्त इलाकों में कानून व्यवस्था को किया तगड़ा

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वाराणसी/चंदौली। धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत उद्योगपति काफी रुचि ले रहे हैं। लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहा चंदौली आज योगी सरकार में उद्योग जगत को आकर्षित करने लगा है। उर्वरा भूमि और वन तथा प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण चंदौली में निवेशकों ने 11573.22 करोड़ रुपए का निवेश करने में इच्छा दिखाई है। इसके लिए 10617 करोड़ का एमओयू किया जा चुका है। प्रस्तावित निवेशकों के माध्यम से 57511 लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है।

चंदौली में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में सबसे ज्यादा निवेशक रुचि दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का पड़ोसी जिला चंदौली कभी वाराणसी का हिस्सा हुआ करता था। पहले की सरकारों की नीतियों और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण चंदौली में उद्योग धंधे कभी नहीं लग पाए। चंदौली जिले में संसाधनों के रहते हुए भी इंडस्ट्री नहीं पहुंच पाई।

योगी सरकार ने मूल भूत सुविधाओं के साथ विकास का काम किया और नक्सल समेत बिगड़ी कानून व्यवस्था पर नकेल कसी तो उद्योग के लिए निवेशकों ने रुचि दिखाना शुरू कर दिया। संयुक्त आयुक्त, उद्योग उमेश सिंह ने बताया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही लगभग 13 सेक्टर में 11573.22  करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इसके लिए 176  निवेशकों ने दिलचस्पी दिखाई है। चंदौली में उद्योगों के धरातल पर आने पर लगभग 57511 लोगों को रोजगार मिलेगा। अभी तक करीब 160 निवेशक लगभग 10617 करोड़ का एमओयू साइन कर चुके हैं।

विभाग का नाम – इंटेंट – निवेश प्रस्ताव (करोड़ में लगभग ) – रोजगार 

1- पशुपालन विभाग – 1 – 1 करोड़ – 5
2- डेयरी विकास विभाग – 12 – 99.64 करोड़ – 512
3- ऊर्जा के अतिरिक्त स्रोत विभाग – 5 – 370  करोड़ – 505
4- एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन विभाग – 129 – 1554 .69  करोड़ – 7810
5- खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन – 1- 4 करोड़ – 15
6- हथकरघा और कपड़ा विभाग – 5 – 401.2 करोड़ – 1250
7- बागवानी विभाग – 5 – 26.35 करोड़ – 114
8- आवास विभाग – 1 – 75 करोड़ – 200
9- चिकित्सा स्वस्थ विभाग – 1- 10 करोड़ – 60
10- तकनीकी शिक्षा – 1 –  2.56 करोड़ -18
11- पर्यटन विभाग – 5 – 134.5 करोड़ – 245
12- शहरी विकास विभाग – 1 – 25 करोड़ – 15
13- उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण – 9 – 8869.28 करोड़ – 40762

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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