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उत्तर प्रदेश

मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय: मुख्यमंत्री योगी

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■ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 170वीं बैठक संपन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा किसानों का हित संरक्षण सुनिश्चित करते हुए विभिन्न दिशा-निर्देश दिए गए। प्रमुख निर्देश/निर्णय इस प्रकार हैं:….

■ राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व से संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में जहां ₹1553 करोड़ की आय हुई थी, वहीं 2023-24 में लगभग ₹1862 करोड़ की आय हुई। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में लगभग ₹400 करोड़ का राजस्व संग्रहीत हो चुका है। मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय है। यह राजस्व किसानों के हित में ही व्यय किया जाए।

■ मंडी किसानों के लिए है। दूरदराज से किसान अपनी फसल लेकर यहां आता है। ऐसे में यहां उनकी सुविधा और सुरक्षा के सभी प्रबंध होने चाहिए। मंडियों में साफ-सफाई, जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो। प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। जलभराव की स्थिति न हो। शौचालय/पेयजल के पर्याप्त इंतज़ाम रखें। यहां किसानों के लिए विश्राम कक्ष और सस्ते दर वाली कैंटीन की व्यवस्था भी कराई जाए।

■ मंडी परिसर में कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। जिस दुकान का जितना क्षेत्र है, उसका फैलाव उस सीमा के अंदर ही होना चाहिए। इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू कराएं।

■ नव स्थापित प्रसंस्करण इकाई को मंडी शुल्क से छूट देने की व्यवस्था का सरलीकरण किया जाना चाहिए। वर्तमान में इकाई स्थापना के दिनांक से छः माह के भीतर मंडलायुक्त के समक्ष आवेदन करना होता है, जिसे मंडलायुक्त द्वारा रिपोर्ट के लिए जिला मैजिस्ट्रेट को भेजा जाता है। इस व्यवस्था का सरलीकरण करते हुए इकाई द्वारा आवेदन सीधे जिला मैजिस्ट्रेट के समक्ष ही किया जाए और जिला मैजिस्ट्रेट द्वारा अगले 07 दिनों में रिपोर्ट के लिए मंडी समिति को भेज दिया जाए।

■ गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बरीपाल और मुरादाबाद की मंडी समिति में खाद्य तेलों पर यूजर चार्ज लिए जाने की व्यवस्था है। व्यापारियों के हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। यदि कोई व्यापारी वर्ष भर में मंडी की दुकान से जितने मूल्य के खाद्य तेलों का व्यापार करे, न्यूनतम उतने ही मूल्य के कृषि उत्पाद, जिन पर मण्डी शुल्क या यूजर चार्ज लिया जाता है, का भी भी व्यापार करे तो उनसे खाद्य तेल पर यूजर चार्ज न लिया जाए।

■ मंडी परिषद एवं मंडी समितियों में विभिन्न विभागीय सम्पत्तियों की नीलामी को शुचितापूर्ण और पारदर्शी बनाने के लिए ‘मैनुअल के स्थान पर ई-ऑक्शन’ व्यवस्था लागू किया जाए।

■ माननीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्रामीण अंचलों के अतिरिक्त कतिपय नगरीय क्षेत्रों में भी हाट-पैठ निर्माण कराये जाने की माँग की जाती रही है। इसका सम्मान करते हुए जिन नगर पंचायत, नगर पालिका अथवा नगर निगम में स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप अच्छे हाट-पैठ बनाए जाएं। नए अधिसूचित नगरीय निकायों को प्राथमिकता दें। हाट-पैठ बनने के बाद संबंधित मंडी समिति द्वारा इसे नगर पंचायत, नगर पालिका अथवा नगर निगम को हस्तान्तरित कर दिया जाए।हाट-पैठ के संचालन/अनुरक्षण/साफ-सफाई तथा परिसम्पत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था का दायित्व संबंधित नगरीय निकाय का होगा।

■ मंडी समिति द्वारा कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या), बाँदा एवं कानपुर में छात्रावास तैयार कराया गया है। वर्तमान में कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) एवं बांदा में छात्रावास निर्माणाधीन है। इसी प्रकार, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, कानपुर, बांदा में एक-एक छात्रावास का निर्माण कराया जाए और कुमारगंज (अयोध्या) में निर्माणाधीन छात्रावास की क्षमता 100 से बढ़ाकर 150 की जाए।

■ कृषि फसलों की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड रूम तैयार कराया जाए। इससे किसान अपनी फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे।

■ फसलों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्ता पूर्ण रोपण सामग्री, बागवानी फसलों के गुणवत्ता पूर्ण रोपण एवं रोग मुक्त बनाने के लिए चारों कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी। इसी प्रकार, रायबरेली में एक उद्यान महाविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। इस संबंध में संभावनाओं का अध्ययन कराएं।

■ उपकार जैसी संस्थाओं को और व्यवस्थित तथा उपयोगी बनाये जाने की आवश्यकता है। यहां विशेषज्ञों की तैनाती हो। नवाचार को प्रोत्साहन मिले। शोध-अनुसंधान की नई गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए।

■ विगत 07 वर्षों में राज्य मंडी परिषद द्वारा किसान हित में अनेक नवाचार किये गए हैं। कृषि विपणन के लिए मंडियों की उपयोगिता बढ़ी है। राज्य सरकार द्वारा किसान कल्याण की अनेक योजनाएं भी संचालित की जा रही है। इन सभी विषयों को समाहित करते हुए मंडी परिषद द्वारा त्रैमासिक न्यूज़ लेटर का प्रकाशन कराया जाना चाहिए। यह न्यूज़लेटर डिजिटल भी हो। इसे किसानों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के अथक प्रयास से बीमारू से स्वस्थ प्रदेश बना यूपी

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लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में बीमारू प्रदेश कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रदेश को स्वस्थ प्रदेश बनाने के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज का संकल्प लिया। साढ़े सात वर्षों में निरंतर किए गए प्रयासों के चलते आज उनका संकल्प साकार होता दिखाई दे रहा है। जहां वर्ष 2017 के पहले प्रदेश के छात्रों को मेडिकल की डिग्री के लिए दूसरे राज्यों और विदेशों का रुख करना पड़ता था, वहीं आज उन्हे प्रदेश में ही मेडिकल की पढ़ाई करने की सुविधा मिल रही है। इससे न सिर्फ प्रदेश में पहले की अपेक्षा डॉक्टर्स की कमी दूर हुई है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी व्यापक सुधार हुआ है। सीएम योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि प्रदेश में पिछले साढ़े सात वर्षों की तुलना में प्रदेश में मेडिकल कॉजेल की संख्या में दोगुने का इजाफा हुआ है। वर्तमान में प्रदेश में 78 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जबकि वर्ष 2017 में इनकी संख्या महज 39 थी। इसी तरह प्रदेश में पिछले साढ़े सात वर्षों में एमबीबीएस की सीटों में 108 प्रतिशत और पीजी की सीटों में 181 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

एमबीबीएस की 11,200 तो पीजी की 3,781 सीटोंं पर हो रहा दाखिला

मेडिकल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग उत्तर प्रदेश की महानिदेशक किंजल सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज के संकल्प की दिशा में लगातार काम हो रहा है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर मेडिकल कॉलेज की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्ष 2016-2017 में कुल 39 मेडिकल कॉलेज थे। इनमें 14 सरकारी और 25 प्राइवेट कॉलेज शामिल थे। वहीं योगी सरकार के अथक प्रयासों से पिछले साढ़े सात वर्षों में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की संख्या में दोगुने का इजाफा हआ है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 78 मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। इनमें 43 सरकारी और 35 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इतना ही नहीं, प्रदेश में पिछले साढ़े सात वर्षों में एमबीबीएस की सीटों में 108 प्रतिशत और पीजी की सीटों में 181 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ष 2016-2017 में प्रदेश में एमबीबीएस की कुल सीटें 5,390 थी। इनमें एमबीबीएस की 1,840 सीटें सरकारी और 3550 सीटें प्राइवेट थीं। वहीं आज वर्ष 2024-25 में कुल सीटें 11,200 हैं। इनमें एमबीबीएस की कुल 5150 सरकारी सीटें और 6050 प्राइवेट सीटें शामिल हैं। इसी तरह पीजी की सीटों की बात करें तो वर्ष 2016-17 में 1,344 सीटें थी। इनमें सरकारी 741 और प्राइवेट की 603 सीटें शामिल हैं। वहीं आज वर्ष 2024-25 में इनकी कुल संख्या 3,781 हैं। इनमें सरकारी 1,759 और प्राइवेट की 2022 सीटें शामिल हैं।

बागपत, हाथरस और कासगंज में भी होगी मेडिकल कॉलेज की स्थापना

डीजीएमई किंजल सिंह ने बताया कि वर्तमान सत्र 2024-25 में प्रदेश के 12 स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय क्रमश: बिजनौर, कुशीनगर, सुल्तानपुर, गोंडा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, चंदौली, बुलंदशहर, पीलीभीत, औरैया, कानपुर देहात और कौशांबी के कॉलेजों की 15 प्रतिशत सीटों को ऑल इंडिया कोटा के तहत काउंसिलिंग की प्रक्रिया चल रही है जबकि 85 प्रतिशत सीटों पर राज्य स्तरीय यूजी नीट प्रथम चक्र की काउंसिलिंग से अधिकांश पर आवंटन किया जा चुका है। वहीं सोनभद्र के मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के लिए केंद्रीय मंत्री स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के समक्ष द्वितीय अपील योजित की गई। अमेठी में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का निर्माण कार्य प्रगति पर चल रहा है। इसका निर्माण कार्य 34 प्रतिशत पूर्ण किया जा चुका है। वर्ष 2025-26 में 100 सीटों की लेटर ऑफ परमिशन प्राप्त करने के लिए एनएमसी, नई दिल्ली का पोर्टल खुलते ही आवेदन किया जाएगा। इसी तरह पीपीपी मोड के तहत मऊ में कल्पनाथ राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। यहां पर एनएमसी के लेटर ऑफ परमिशन के लिए आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 में आवेदन किया जाएगा। इसके साथ ही पीपीपी मोड के वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) स्कीम के तहत बागपत, हाथरस और कासगंज में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए जल्द ही कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा।

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