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उत्तर प्रदेश

परिषदीय शिक्षकों ने ली शपथ, यूपी को बनाएंगे ‘निपुण प्रदेश’

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लखनऊ,  परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का अनुकरणीय वातावरण बनाकर उत्तर प्रदेश को निपुण प्रदेश के रूप में स्थापित करने की दिशा में योगी सरकार आगे बढ़ रही है। इसी क्रम में मंगलवार को सभी परिषदीय स्कूलों में ‘शिक्षा सप्ताह’ के दूसरे दिन दूसरे दिन एफएनएल दिवस मनाया गया। इस दौरान हुए विभिन्न कार्यक्रमों के बीच परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने ‘उत्तर प्रदेश को निपुण प्रदेश’ बनाने का संकल्प लिया। उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में 22 से 28/29 जुलाई तक ‘शिक्षा सप्ताह’ का मनाया जा रहा है। इसके तहत प्रत्येक दिन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन हो रहा है।

प्रतिदिन एक विशिष्ट विषय की गतिविधि का आयोजन

‘शिक्षा सप्ताह’ के दूसरे दिन सभी विद्यालयों में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षकों ने शपथ लेते हुए कहा, ‘बच्चों को बुनियादी दक्षताएं प्राप्त कराते हुए हम, विद्यालय और उत्तर प्रदेश को निपुण बनाने की शपथ लेते हैं।’ उन्होंने ने न सिर्फ निपुणता प्राप्त करने के लिए अपने सभी सहभागियों को निरंतर प्रेरित करने का संकल्प लिया, बल्कि अपने ब्लॉक व जनपद को निपुणता हासिल कराने की भी शपथ ली। निपुण विद्यालय से निपुण ब्लाक, जनपद और निपुण प्रदेश बनाने की कसम खाई। इस कार्य के लिए अपना सर्वस्व झोंकने का संकल्प लिया। बता दें कि परिषदीय विद्यालयों के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम में प्रत्येक दिन, एक विशिष्ट विषय की गतिविधि को शामिल कर उनमें तार्किक क्षमता विकसित करना प्रमुख उद्देश्य है।

शिक्षा सप्ताह के दूसरे दिन आयोजित हुए ये कार्यक्रम

– शिक्षकों के उपयोगार्थ नवाचारी शिक्षण पद्धतियों और आनंदमय शिक्षण पर इंट्रैक्टिव सत्र चले।
– अभिभावकों के साथ संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
– बच्चों के लिए इंट्रैक्टिव लर्निंग सत्र चलाए गए।
– रोचक गतिविधियां चलीं और खेल का आयोजन हुआ।
– कला और शिल्प आधारित गतिविधियों में बच्चों की कल्पना और रचनात्मकता को विकसित करने के लिए कला और शिल्प गतिविधियों का आयोजन हुआ।
– अभिभावकों/शिक्षकों को एफएलएन पाठ्यक्रम में कला और शिल्प को एकीकृत करने के महत्व के बारे में जागरूक किया गया।
– वीडियो दिखाकर एफएलएन के महत्व के बारे में बताया गया। और जन-जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया।
– ‘निपुण शपथ ग्रहण’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
– पुस्तकों को पढ़ने के लिए भी सत्र चले।
– मौलिक साक्षरता और संख्यात्मकता से संबंधित सांस्कृतिक गतिविधियां हुईं।
– कहानी सुनाने के माध्यम से भाषा विकास पर जोर रहा।
– बच्चों को खिलौने के माध्यम से सीखने और खेल आधारित गतिविधियों को आयोजित किया गया।
– कठपुतली-शो जैसी गतिविधियों का आयोजन हुआ।
– स्थानीय समुदाय में जन-जागरूकता अभियान आयोजित करने की सीख मिली।
– कार्यक्रमों में स्थानीय नेता व प्रभावशाली लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराने पर जोर रहा।
– आंगनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा मां व बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर।
– पैनल चर्चा कराने पर जोर देते हुए इसमें शिक्षा विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और विषय विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई।
– भविष्य की दिशाओं और नवाचारों पर विश्लेषण करने के टिप्स मिले।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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