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कारगिल विजय दिवस: 527 से अधिक वीरों ने दिया था अपने प्राणों का बलिदान, तब फहरा था तिरंगा
लखनऊ। 26 जुलाई हर भारतीयों के गर्व करने का दिन है जब हमारे वीर योद्धाओं ने कारगिल की सफेद बर्फ से ढकी पहाड़ी पर तिरंगा फहराया था। पाकिस्तान के धोखे को भारतीय जवानों ने विजय तिलक लगाकर नेस्तनाबूद कर दिया था। ढाई महीने तक चले इस युद्ध में देश ने लगभग 527 से अधिक वीर जवान खोए थे। वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। इस युद्ध में सबसे दुखद है उन सैनिकों के बारे में जानना जिन्होंने अपना जीवन खोया। उनमें से अधिकांश ने जीवन के 30 वसंत भी नहीं देखे थे।
इन शहीदों ने भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परम्परा का निर्वाह किया, जिसकी सौगन्ध हर सिपाही तिरंगे के सामने लेता है। 26 जुलाई का दिन है उन शहीदों को याद कर अपने श्रद्धा-सुमन अर्पण करने का जिन्होंने हंसते-हंसते मातृभूमि की रक्षा के लिए मौत को गले लगा लिया। कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे हाईऐल्स पेटोल फील्ड में लडी गई जंग में से एक है। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना के 527 जवान शहीद और 1363 जवान घायल हुए थे। ऑपरेशन विजय की जिम्मेदारी करीब 2 लाख जवानों को सौंप गई थी। भारतीय सेना की कार्रवाही के दौरान मारे गए घुसपैठियों की तलाशी ली गई तो उनके पास पाकिस्तानी आईडी प्रूफ निकलें।
कारगिल के युद्ध के दौरान के मारे गए ज्यादातर जवान नोर्थन लाइट इंट्री के थे जो पाकिस्तान की पैरा मिलिट्री फोर्स थी। जिनको 1999 की लडाई के बाद पाकिस्तान की रेगुलर रेजिमेंट में बदल दिया गया। कारगिल सेक्टर में लड़ाई शुरू होने से पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने 28 मार्च 1999 को एक हेलीकॉप्टर से एलओसी पार की थी और भारतीय सीमा में करीब 11 किलोमीटर अंदर तक आकर एक जगह पर रात बिताई थी। कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान के 357 सैनिक मारे गए थे लेकिन अनकंफ़र्म फिगर के मुताबिक भारतीय सेना की कार्यवाई में करीब 3 हजार सैनिकों की जान चली गई थी। भारतीय सेना ने लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों और पहाड़ियों पर कब्जा जमाए हुए आतकियों को मार गिराया था।
इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर बनाई गई है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय चलाया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी रेंजर्स को मोहतोड़ जबाब देते हुए 26 जुलाई 1999 को कारगिल में तिरंगा लहरा कर इस लड़ाई को समाप्त किया था। देशभर में कारगिल युद्ध जीत की खुशी में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
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केजरीवाल ने सदन में पूछा सवाल, क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है
नई दिल्ली। दिल्ली में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शक्रवार को केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में कहा कि दिल्ली में बदहाल होती कानून-व्यवस्था पर अमित शाह चुप क्यों हैं?। केजरीवाल ने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है। इसका जवाब बीजेपी को देना होगा। क्या लॉरेंस बिश्नोई को बीजेपी की तरफ से संरक्षण प्राप्त है। उसे जेल में कौन-कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं। वह गुजरात की जेल में रहते हुए भी देश-विदेश में गैंग कैसे चला रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमने स्कूल, अस्पताल, सड़कें और बिजली ठीक करने की जिम्मेदारी पूरी की है लेकिन केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली की कानून व्यवस्था संभाली नहीं जा रही है। दिल्ली में हत्याएं और बम ब्लास्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी-अभी मैं देख रहा था कि एक वकील कह रहे थे कि सड़क पर हाथ में मोबाइल फोन ले जाना मुश्किल है। आप मोबाइल फोन लो जाओगे, कोई ना कोई आपका मोबाइल छीन लेगा। दिल्ली में दुष्कर्म हो रहे हैं, मर्डर कर देते हैं। मैं यह एक अखबार लेकर आया हूं। दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर इसमें जानकारी दी गई है।
उन्होंने कहा कि आपके पड़ोस में गैंगवार शुरू हो गए हैं। ये लॉरेंस बिश्नोई कौन है? कैसे वह जेल में बैठ कर गैंग चला रहा है। इसके बारे में अमित शाह को बताना पड़ेगा। बिश्नोई गैंग, भाऊ ग्रैंड, गोगी गैंग… ऐसे दर्जन भर गैंग दिल्ली के अंदर सक्रिय हैं। कोई बता रहा था कि इन्होंने अपने एरिया बांट रखे हैं।
दिल्ली में कानून व्यवस्था का यह हाल हो गया है कि आज हर कोई डरा हुआ है। लोगों को वसूली के फोन आ रहे हैं। महिलाओं का रेप कर हत्या की जा रही है। लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने आतंक मचा रखा है। एक बात समझ नहीं आ रही कि लॉरेंस बिश्नोई BJP शासित गुजरात की साबरमती जेल में बंद है तो वह जेल में रहकर अपनी गैंग कैसे चला रहा है?
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