उत्तर प्रदेश
निपुण भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा “रोड टू स्कूल”
लखनऊ। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए जा रहे प्रयासों को कॉर्पोरेट जगत की तरफ से भी सराहा जा रहा है। कई बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप सरकार की इन गतिविधियों का हिस्सा भी बन रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा‘रोड टू स्कूल’का भी शुभारंभ किया गया है। यह प्रोजेक्ट प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग के साथ ही प्रमुख औद्योगिक घरानों में शुमार हिंदुजा समूह की अशोक लीलैंड लिमिटेड और उसके कार्यान्वयन भागीदार लर्निंग लिंक फाउंडेशन की पहल है। रोड टू स्कूल प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों (कक्षा एक से 8) के छात्रों में सीखने की संस्कृति पर कार्य करता है और छात्रों के समग्र विकास के लिए एक आधारभूत ढांचा तैयार करता है। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम एक टिकाऊ और स्केलेबल मॉडल का उपयोग करने के साथ ही बच्चों के शैक्षिक और सह शैक्षिक विकास दोनों पर ध्यान केंद्रित करके छात्रों के बीच विद्यालयों में उपस्थिति सुधार और ड्रॉपआउट को कम करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
क्या है रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट
रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने, ड्राप आउट रोकने, बच्चों में पठन-पाठन के प्रति अभिरुचि बढ़ाने, उनके स्वास्थ्य देखभाल और उन्हें खेल एवं कौशल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। रोड टू स्कूल में बच्चों को उदाहरण देकर सिखाने पर जोर है। यह एक अभिनव कार्यक्रम है जो बच्चों के शत प्रतिशत नामांकन, कक्षा में उनकी नियमित उपस्थिति और आगे की कक्षाओं में प्रवेश के लिए प्रयास करता है। रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट का लक्ष्य बच्चों के बीच आधारभूत शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और कला शिक्षा में सुधार करना है। यह प्रोजेक्ट निपुण भारत मिशन के अनुसार बुनियादी शिक्षा स्तरों में सुधार करने के लिए काम करेगा। मसलन बच्चों में विज्ञान और गणित को लेकर दिलचस्पी बढ़े और उनमें विषय की अभिव्यक्ति विकसित हो। बच्चों के समग्र स्वास्थ्य विकास को लेकर इस प्रोजेक्ट में शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण आधारित पाठ्यक्रम चलेंगे।
दो चरणों में लागू हो रहा पाठ्यक्रम
कार्यक्रम को दो चरणों में लागू किया जा रहा है। पहले चरण में चरगावां ब्लॉक में कार्यक्रम लागू किया जा रहा है, जिसमें सभी 78 विद्यालयों को शामिल किया गया है। पहले चरण में 17,781 छात्रों को इस प्रोजेक्ट का लाभ मिलेगा। वहीं दूसरा चरण 2 जून 2025 से शुरू किया जाएगा, जिसमें भटहट ब्लॉक के शेष सभी 90 विद्यालयों को कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। दूसरे चरण में 16,434 छात्र लाभान्वित होंगे। कुल मिलाकर इस कार्यक्रम से 34,215 छात्रों को लाभ होगा। प्रोजेक्ट के तहत 2 विद्यालयों के लिए एक रिसोर्स पर्सन (आरपी) की तैनाती की जाएगी। चरगावां ब्लॉक में 50 आरपी और भटहट ब्लॉक में 50 आरपी तैनात होंगे। प्रत्येक ब्लॉक के लिए 5 वरिष्ठ रिसोर्स पर्सन (एसआरपी) को रिसोर्स पर्सन (आरपी) की निगरानी और मार्गदर्शन के लिए तैनात किया जाएगा। इस तरह एक एसआरपी 15 विद्यालयों को कवर करेगा। विद्यालयों में स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम गतिविधियों को लागू करने के लिए 5 प्रोजेक्ट एसोसिएट को तैनात किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक विद्यालयों को शिक्षण सहायक सामग्री और गणित किट प्रदान की जाएगी। प्रत्येक विद्यालय के लिए एक खेल किट भी उपलब्ध कराई जाएगी।
शैक्षिक के साथ ही खेल और कला शिक्षा पर होगा फोकस
प्रोजेक्ट के तहत कक्षा एक से आठ तक के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम में आधारभूत शिक्षा के अंतर्गत निपुण भारत मिशन के अनुसार बुनियादी शिक्षा स्तरों में सुधार करना शामिल है। इसके तहत शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण पर आधारित पाठ्यक्रम उपलब्ध होगा। इसी तरह खेलो इंडिया कार्यक्रम के पाठ्यक्रम का कार्यान्वयन भी सुनिश्चित किया जाएगा, जबकि कला शिक्षा को बढ़ावा देना और बुनियादी जीवन कौशल का विकास करना भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। कार्यक्रम के अपेक्षित परिणामों में छात्रों में आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में सुधार करना, 100 प्रतिशत छात्रों के नामांकन को बनाए रखने और आगे की कक्षाओं में बढ़ाने के लिए कार्य करना, प्राथमिक से माध्यमिक और माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में स्थानांतरण, 100 प्रतिशत छात्रों को स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रथाओं से अवगत कराना और शिक्षकों की क्षमता वर्धन और शिक्षकों द्वारा अपनी कक्षाओं में कार्यक्रम के दृष्टिकोण को अपनाना शामिल है।
उत्तर प्रदेश
अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- नौकरी भाजपा के एजेंडे का हिस्सा नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रयागराज में जमकर प्रदर्शन किया। लोकसेवा आयोग के दफ्तर के सामने हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच धक्कामुक्की भी हुई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को खदेड़ दिया था। इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में का हिस्सा नहीं है।
उन्होंने कहा कि माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हो चुका है। आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर यही है कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। अखिलेश ने कहा कि उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा। नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार। भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए।
सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवार वाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं और बांटने वाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकारकर ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।
अखिलेश ने कहा कि अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी।
उन्होंने कहा कि अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोज़र चलाएगी। भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफ़ी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता। आंदोलनकारियों के ग़ुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से भाजपा के झंडे उतर गये हैं। आंदोलनकारी युवा ऊँची आवाज़ में पूछ रहे हैं ‘अब कहाँ गायब हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता?’ क्या ये सिर्फ़ समाज को बाँटने के लिए बाहर निकलते हैं। जिस समय छात्रों की आवाज में आवाज मिलाने का समय है, उस समय ये भाजपाई, कहीं दबे-छिपे काट रहे हैं सत्ता की मलाई। सपा प्रमुख ने कहा कि नकारात्मक भाजपा और उसकी नकारात्मक झूठी राजनीति का समय पूरा हो गया है। जन-जन कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।
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