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नेशनल

बिहार के नवादा जिले में जमीन को लेकर विवाद ,दबंगो ने दलित बस्ती में लगाई आग

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नवादा। बिहार के नवादा जिले में जमीन को लेकर हुए विवाद में दबंगों ने दलित बस्ती के 80 घर जला दिए। यह घटना नवादा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के ननौरा के पास स्थित कृष्णा नगर दलित बस्ती की है। यहां दो पक्षों में जमीन को लेकर विवाद था। जिसके चलते बुधवार रात कुछ दबंग बस्ती में घुसते हैं और गांव के लोगों से मारपीट करते हैं। उसके बाद हवाई फायरिंग करते हुए उन्होंने 80 घरों को आग के हवाले कर दिया।

क्या है पूरा मामला

बताया जा रहा है कि गांव में जमीन के एक हिस्से पर फिलहाल दलित परिवारों का कब्जा है। इस जमीन पर कब्जे को लेकर दूसरे पक्ष से विवाद चल रहा है। मामले की सुनवाई वरिष्ठ अधिकारियों के पास चल रही है। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि बुधवार की शाम अचानक दबंगों ने हमला कर दिया। मारपीट के साथ उनके घरों में आग लगा दी गई।

एसपी नवादा ने क्या बताया

एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “करीब 7 बजे ये सूचना मिली थी कि यहां कुछ व्यक्तियों द्वारा घरों को जलाया गया है। शुरुआत में दावा किया गया था कि 40-50 घर जलाए गए, लेकिन हमने जितना अभी तक सिविल साइड और पुलिस ने रात के अंधेरे में जितना सर्वे किया है, करीब 21 घरों के परिवारों को हमने चिन्हित किया है। इसमें अगर कोई आगे डिटेल सर्वे किया जाएगा, लेकिन जितना अभी तक कंफर्म किया गया है वो 21 घर हैं। इसके अलावा इस घटना में किसी की मौत की सूचना सामने नहीं आई है और न ही किसी की ऐसी बॉडी मिली है।

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराज

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नई दिल्ली। किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नाराज हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले पर सीधा सवाल पूछा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने क्या कहा?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये। क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं?’

उन्होंने कहा, ‘गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।

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