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उत्तर प्रदेश

उच्च शिक्षा में किए गए अभिनव प्रयासों और उपलब्धियों से परिचित करा रही योगी सरकार

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ग्रेटर नोएडा/लखनऊ। ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो (यूपीआईटीएस) के द्वितीय संस्करण में उच्च शिक्षा विभाग ने भी अपना स्टॉल लगाया है। इस स्टॉल के माध्यम से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में योगी सरकार द्वारा किए जा रहे अभिनव प्रयासों और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया गया है। यहां नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी 2020) के क्रियान्वयन, शिक्षा में आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) के उपयोग, क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार और भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को उच्च शिक्षा में एकीकृत करने जैसी उपलब्धियों को प्रमुखता से दर्शाया गया। इसके साथ ही, निजी क्षेत्र से विश्वविद्यालय और कॉलेज स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों और निवेशकों की रुचि का भी वर्णन किया गया है जो उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रूप से एक शैक्षणिक हब के रूप में उभरते हुए प्रदर्शित करते हैं।

निजी और विदेशी विश्वविद्यालयों को आकर्षित कर रही उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में इंटरनेशनल ट्रेड शो में उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण कार्यों को प्रदर्शित किया। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के निर्देशन में इस स्टॉल की अवधारणा रखी गई और डिजाइन किया गया है, जबकि प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने स्टॉल की मॉनीटरिंग की और सुधार के लिए अपने सुझाव दिए। इस मेले में विभाग का स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र रहा, जहां उच्च शिक्षा की विभिन्न विशेषताओं को प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके तहत, उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति के विषय में भी जानकारी दी जा रही है। राज्य की प्रस्तावित उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले निजी और विदेशी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करना है। इसके तहत स्टाम्प शुल्क छूट, पूंजी सब्सिडी और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग के लिए वित्तीय प्रोत्साहन जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

एनईपी के क्रियान्वयन और आईसीटी के उपयोग का वर्णन

इसके अतिरिक्त नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी 2020) के क्रियान्वयन को भी विस्तार से प्रचारित किया गया है। उत्तर प्रदेश में सभी पाठ्यक्रमों में एनईपी 2020 को लागू किया गया है, सिवाय उन पाठ्यक्रमों के जिन्हें नियामक निकायों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसमें त्वरित डिग्री पूरा करने के विकल्प, चार-वर्षीय स्नातक कार्यक्रम की शुरुआत, बहुविषयकता और निरंतर आंतरिक मूल्यांकन (सीआईई) शामिल हैं। इसी के साथ, शिक्षा में आईसीटी के उपयोग के विषय में भी जानकारी दी गई है। इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश ने शिक्षा में तकनीकी प्रगति की है। छात्रों को टैबलेट और मोबाइल डिवाइस वितरित किए गए हैं और प्रयागराज में ऑनलाइन शिक्षा के लिए ई-स्टूडियो की स्थापना की गई है। यही नहीं, 4.1 मिलियन से अधिक छात्र अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) में पंजीकृत हैं और समर्थ-ईआरपी प्रणाली का कार्यान्वयन राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में किया गया है।

क्षेत्रीय भाषाओं को दिया जा रहा बढ़ावा

इसके साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की उपलब्धि को भी रेखांकित किया गया है। उत्तर प्रदेश में एनईपी के अनुसार क्षेत्रीय भाषाओं को उच्च शिक्षा में प्राथमिकता दी जा रही है। सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में भाषा केंद्रों की स्थापना की गई है और स्थानीय भाषाओं में ई-सामग्री विकसित की जा रही है, ताकि शिक्षा अधिक सुलभ हो सके। इसी प्रकार भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) का भी प्रचार किया गया। इसमें प्रत्येक विषय की पहली इकाई में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल किया गया है, जिससे छात्रों को भारत की पारंपरिक कला, संस्कृति और ज्ञान से जोड़ा जा सके।

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उत्तर प्रदेश

राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार

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प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।

मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।

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