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प्रादेशिक

यूपी उपचुनाव : मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट पर बवाल, पुलिस ने संभाला मोर्चा

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मीरापुर। मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर सीट पर बवाल की तस्वीरें सामने आई हैं। मीरापुर के ककरौली इलाके में गुस्साई भीड़ ने पथराव किया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ा। पुलिस के मुताबिक यहां पर दो पक्षों के बीच झड़प हुई थी। दरअसल मीरापुर उपचुनाव-मतदान के दौरान हंगामा देखने को मिला। इस दौरान ककरौली में भीड़ ने पथराव किया। इसके बाद पुलिस को हालात को ठंडा करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान मौके पर पुलिस अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे। फिलहाल हालात सामान्य हैं।

क्या बोले पुलिस के अधिकारी

मुजफ्फरनगर एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया, “मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के दौरान थाना ककरौली क्षेत्र के अंतर्गत गांव ककरौली के पास दो पक्षों में छोटी सी झड़प हुई है। पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर बल प्रयोग कर सभी को वहां से हटा दिया है। मौके पर शांति व्यवस्था कायम है और मतदान स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से चल रहा है।” बता दें कि बटेंगे तो कटेंगे नारा जो महाराष्ट्र की विधानसभा चुनाव में गूज रहा है, उसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में हुई थी। इसका प्रयोग हरियाणा, झारखंड और फिर महाराष्ट्र में किया जा रहा है। दरअसल अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले के खिलाफ ये बयान दिया गया था। यूपी के 9 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इस चुनाव में 90 प्रत्याशी मैदान में हैं। यहां भाजपा, एसपी और बीएसपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।

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उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख

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देहरादून। उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा कृषि भूमि खरीदने और उसका गैर-कानूनी उपयोग करने के मामलों में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. प्रदेश के विभिन्न जिलों में भू-कानून के उल्लंघन के 430 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों में जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर कार्रवाई तेज कर दी गई है. सबसे अधिक मामले देहरादून, नैनीताल और चमोली जिलों में दर्ज हुए हैं, जहां बाहरी लोगों ने जमीन खरीदकर कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग किया है.

भू-कानून के उल्लंघन के सबसे अधिक 196 मामले देहरादून जिले में सामने आए हैं. पछवादून से लेकर मसूरी, रानीपोखरी, मालदेवता, शिमला बाईपास, भोगपुर और सहस्त्रधारा क्षेत्रों में बाहरी लोगों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी. इन जमीनों का उपयोग कृषि के बजाय होटलों, रिजॉर्ट्स और अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया. जिला प्रशासन ने इन मामलों में एसडीएम कोर्ट में केस दर्ज कर दिए हैं और संबंधित लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं.

समाज और पर्यावरण पर असर

बाहरी लोगों द्वारा कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग न केवल भू-कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय समाज और पर्यावरण के लिए भी चिंता का विषय है. पहाड़ी क्षेत्रों में रिजॉर्ट्स और होटलों के निर्माण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इसके अलावा, स्थानीय निवासियों की आजीविका और पारंपरिक खेती पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.राज्य सरकार की यह कार्रवाई न केवल भू-कानून को सख्ती से लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

 

 

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