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उत्तर प्रदेश

तकनीक के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यों की गुणवत्ता में सुधार पर जोर दे रही योगी सरकार

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के लिए चल रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजनाओं की सटीक निगरानी सुनिश्चित करने हेतु अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही है। योगी सरकार के इस प्रयास के तहत एरिया ऑफिसर ऐप की शुरुआत की गई है। इस ऐप के माध्यम से मनरेगा योजनाओं के प्रगतिशील कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सीएम योगी के नेतृत्व में प्रदेश न केवल मनरेगा के तहत रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास में आगे है, बल्कि एरिया ऑफिसर ऐप के माध्यम से कार्यों के निरीक्षण में यह देशभर में अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल बन रहा है।

तकनीकी नवाचार से ग्रामीण क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाई पर ले जा रही योगी सरकार

एरिया ऑफिसर ऐप के माध्यम से मनरेगा योजनाओं की निगरानी को सशक्त बनाया जा रहा है। इस ऐप के माध्यम से निरीक्षण के दौरान अधिकारी कार्यस्थलों की तस्वीरें और अन्य आवश्यक विवरण तुरंत अपलोड करते हैं। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित होता है कि योजनाओं के तहत हो रहे कार्य सही समय पर और निर्धारित मानकों के अनुरूप पूरे हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस ऐप का उपयोग प्रभावी तरीके से किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पारदर्शिता और कार्यों की गुणवत्ता में वृद्धि हो रही है। मनरेगा के अंतर्गत प्रदेश में लाखों मजदूर कार्यरत हैं, और यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का प्रमुख स्रोत है। योजना के तहत विभिन्न प्रकार के विकास कार्य जैसे तालाब निर्माण, सड़क निर्माण, और वृक्षारोपण आदि चल रहे हैं। इन कार्यों की नियमित निगरानी के लिए एरिया ऑफिसर ऐप एक क्रांतिकारी पहल साबित हो रही है।

एरिया ऑफिसर ऐप के माध्यम से निरीक्षण में उत्तर प्रदेश सबसे आगे

ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने मनरेगा योजनाओं के निरीक्षण के मामले में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश ने 1.50 लाख से अधिक निरीक्षण कर अपने निर्धारित लक्ष्य को पार किया। वहीं, इस वर्ष अब तक 1.25 लाख निरीक्षण किए जा चुके हैं, जो कि निर्धारित लक्ष्य 99,480 से कहीं अधिक हैं। देशभर में उत्तर प्रदेश मनरेगा निरीक्षण में अग्रणी है। आंध्र प्रदेश दूसरे और बिहार तीसरे स्थान पर हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 99,504 निरीक्षण किये गये थे। वर्ष 2023-24 में 1.50 लाख से ज्यादा निरीक्षण किये गये थे। यह उपलब्धि सरकार के उच्च मानकों और विकास कार्यों की सटीक निगरानी की दिशा में किए गए प्रयासों का परिणाम है।

कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर विशेष जोर दे रही योगी सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में मनरेगा के तहत सभी कार्य निर्धारित समय पर और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरे हों। इसके लिए जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और खंड विकास अधिकारी नियमित रूप से बकायदा कार्यस्थलों का दौरा कर योजनाओं की प्रगति का जायजा ले रहे हैं। उनके निरीक्षण के दौरान कार्यस्थलों की तस्वीरें और विवरण ऐप के माध्यम से अपलोड किए जाते हैं, जिससे सरकार को योजनाओं की वास्तविक स्थिति का अपडेट मिलता रहता है।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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