क्वेटा। पाकिस्तान के क्वेटा में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मुफ्ती अब्दुल बाकी नूरजई की अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी है। नूरजई को क्वेटा एयरपोर्ट के पास गोली मारी गई है। इस हमले में वो बुरी तरह से घायल हो गए, जिसके बाद उन्होंने अस्पताल ले जाया गया है, लेकिन इलाज के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया। बता दें बता दें पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तान और पीओके में अज्ञात बंदूकधारियों ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के एक दर्जन से अधिक आतंकवादियों की हत्या की है।
मोस्ट वांटेड आतंकी अबू कताल की पाकिस्तान में हत्या
इससे पहले रविवार को भारत की हिट लिस्ट में शामिल मोस्ट वांटेड आतंकी अबू कताल सिंघी की पाकिस्तान में हत्या हो गई है। अबू कताल का भारत में कई बड़े हमलों के पीछे हाथ बताया जाता है। NIA ने उसे वांटेड घोषित कर रखा था। सेना के समेत कई सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये आतंकी सिरदर्द बना हुआ था। आतंकी अबू कताल हाफिज सईद से जुड़ा रहा है। हाफिज सईद मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक, अबू कताल उर्फ कतील सिंधी की 2 अज्ञात लोगों ने उस समय हत्या की, जब वह अपने वाहन में यात्रा कर रहा था। अबू कताल ढांगरी, राजौरी और रियासी हमलों के लिए जिम्मेदार था।
कौन था अबू कताल?
लश्कर का अबू कताल, लश्कर के खुरेटा लॉन्च पैड (पीओजेके का जिला कोटली) का स्वयंभू कमांडर था। उसके निर्देशन में यह शिविर लश्कर की गतिविधियों का केंद्र रहा था, जो भारत में राजौरी-पुंछ सेक्टरों में लक्षित हमलों पर केंद्रित था।
वह जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में लश्कर के आतंकवादियों की घुसपैठ कराने में सीधे तौर पर शामिल था, इसके अलावा इस क्षेत्र में ड्रोन गिराने के जरिए हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करता था। वह हाल के दिनों में राजौरी-पुंछ क्षेत्र में हुए कुछ बड़े हमलों के समन्वय में लश्कर का एक प्रमुख सदस्य था। हालांकि कताल को लश्कर के एक प्रमुख ऑपरेटिव के रूप में जाना जाता था, लेकिन सुरनकोट पुंछ के निसार नामक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद उसकी मिलीभगत स्पष्ट रूप से स्थापित हो गई थी, जो सेना के वाहन पर भाटिया डूरियन हमले (अप्रैल 2023) का हिस्सा था।
अबू कताल ने पाकिस्तान लौटने से पहले 2000 के दशक की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में काम किया था। उसने लश्कर के आतंकवादियों के लिए आतंकी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने के लिए अपने पुराने संपर्कों का इस्तेमाल किया। अबू कताल लश्कर के शीर्ष कमांडरों में से एक था और हाफिज सईद सहित शीर्ष नेतृत्व का विश्वासपात्र था। वह कोटली में लश्कर के सबसे महत्वपूर्ण शिविर को संभाल रहा था और सीधे रावलपिंडी में रहने वाले साजिद जट्ट को रिपोर्ट कर रहा था।