अफगानिस्तान में अजेय बने पंजशीर घाटी में कमजोर पड़ने पर अब तालिबान ने भी वार्ता की राह पर चलने का फैसला लिया है। इस कड़ी में तालिबान ने अपने 40 सदस्यों के एक प्रतिनिधमंडल को समझौते के लिए पंजशीर घाटी की सेनाओं के पास भेजा। हालांकि, इस वार्ता का निष्कर्ष क्या निकला, यह अभी तक साफ नहीं है।
अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में जमे ये जवान सैनिक की वर्दी में हैं और अमेरिका निर्मित हंवी में बैठकर पूरे इलाके में गश्त कर रहे हैं। उनके साथ मशीनगन से लैस गाड़ियां भी चल रही हैं। इन जवानों के पास असॉल्ट राइफल, रॉकेट से दागे जाने वाले ग्रेनेड और संपर्क करने के लिए वॉकी टॉकी सेट हैं। पंजशीर की बर्फ से ढंकी चोटियों के बीच में ये जवान राजधानी काबुल से मात्र 80 किमी दूर तालिबान से मोर्चा ले रहे हैं।
एक पंजशीरी योद्धा ने कहा, ‘हम तालिबानियों का चेहरा जमीन में रगड़ने जा रहे हैं।’ इसके बाद उनके अन्य साथी अल्लाह हू अकबर के नारे लगाने लगते हैं। रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस घाटी में मूल रूप से ताजिक मूल के लोग रहते हैं। अत्यधिक ऊंची ऊंची पहाड़ियों की वजह ये घाटी पंजशीर के जवानों को प्राकृतिक सुरक्षा मुहैया कराती है। साथ ही इस घाटी में घुसने का रास्ता बहुत ही संकरा है।