अहमदाबाद। 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया। लंदन के लिए उड़ान भर रहे इस विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की दर्दनाक मौत हो गई। यह त्रासदी सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने कई परिवारों की खुशियां और उम्मीदें छीन लीं। इन्हीं में से एक थे विमान के वरिष्ठ पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल, जिनकी मौत ने एक बुजुर्ग पिता से उनका संपूर्ण सहारा छीन लिया।
पिता के कांपते हाथों और नम आंखों ने सबको रुलाया
कैप्टन सुमित सभरवाल का अंतिम संस्कार 17 जून को मुंबई के एक श्मशान घाट में किया गया। इससे पहले उनका पार्थिव शरीर पवई स्थित घर लाया गया, जहां परिवार, मित्रों और परिचितों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। जैसे ही सुमित का शव घर पहुंचा, उनके 88 वर्षीय पिता पुष्करराज सभरवाल अपने आंसू रोक नहीं पाए। कांपते हाथों से बेटे को अंतिम विदाई देते वक्त उनकी आंखों से बहते आंसू हर किसी को भावुक कर गए।
बेटा जो पिता के लिए बन गया था पूरी दुनिया
सुमित सभरवाल अपनी मां को दो साल पहले ही खो चुके थे। इसके बाद से उनके बुजुर्ग पिता ही उनकी दुनिया बन गए थे। उम्र और बीमारी से जूझ रहे पिता की देखभाल की जिम्मेदारी सुमित ने अपने कंधों पर ले ली थी। हालांकि, व्यस्त पायलट की नौकरी के कारण वे पूरी तरह से समय नहीं दे पा रहे थे। इसलिए उन्होंने हाल ही में पिता से वादा किया था कि वो नौकरी छोड़कर पूरी तरह उनकी सेवा में लग जाएंगे। दुर्भाग्यवश, यह वादा अधूरा ही रह गया।
हादसे से पहले लिया था बड़ा फैसला
परिजनों के मुताबिक, हादसे से कुछ ही दिन पहले सुमित ने पायलट की नौकरी छोड़ने का मन बना लिया था ताकि वह अपने पिता के साथ ज्यादा वक्त बिता सकें। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। अहमदाबाद हादसे ने एक बेटे का वादा, एक पिता का सहारा और एक परिवार का आखिरी दीपक छीन लिया।
इस हादसे ने सिर्फ एक विमान नहीं गिराया, बल्कि सैकड़ों घरों को उजाड़ दिया। कैप्टन सुमित सभरवाल की कहानी उन तमाम कहानियों में से एक है, जो इस भयावह हादसे के बाद सिर्फ यादों में रह गई।