नई दिल्ली। पुरातत्ववेत्ता और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व महानिदेशक प्रो. बृजबासी (बीबी) लाल का निधन हो गया। अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे राम मंदिर की खोज उन्होंने ही की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनके निधन पर विभिन्न इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं ने भी दुख प्रकट किया है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ”बीबी लाल एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे। संस्कृति और पुरातत्व क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय है। उन्हें एक ऐसे महान बुद्धिजीवी के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने हमारे समृद्ध अतीत के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा किया। उनके निधन से आहत हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं। ओम शांति।”
सौ साल से भी ज्यादा उम्र होने के बावजूद वह लगातार एक्टिव थे। प्रो. लाल ने हस्तिनापुर, शिशुपालगढ़, पुराना किला, कालिबंगन सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई की।
दो मई, 1921 को पैदा हुए बीबी लाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में मास्टर्स किया। इसके बाद वह 1943 में वह पहुंचे लक्षशिला, जहां उस वक्त के जाने-माने ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट मोर्टीमर व्हीलर के अंडर में ट्रेनिंग शुरू की।
अपने पूरे कार्यकाल में बीबी लाल ने 50 से ज्यादा किताबों पर काम किया। इसके अलावा उनके 150 से ज्यादा शोध पत्र देश और दुनिया के जॉर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं। साल 1950 से 1952 के बीच बीबी लाल ने महाभारत से जुड़ी विभिन्न साइट्स पर काम किया है। इस दौरान उन्होंने ऊपरी गंगा दोआब आदि में ढेरों पेंटेड ग्रे वेयर साइट्स ढूंढीं। अपनी फाइंडिंग्स को समराइज करते हुए उन्होंने लिखा था कि जो पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं, उनसे यह साबित होता है कि यहां पर महाभारत की कहानी का आधार है।