नई दिल्ली| लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित कांग्रेस भागीदारी न्याय सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण आत्मस्वीकृति दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के हितों की उस तरह से रक्षा नहीं की, जैसी अपेक्षित थी। राहुल गांधी ने इस चूक को व्यक्तिगत गलती मानते हुए उसे सुधारने का संकल्प भी लिया।
राहुल गांधी ने कहा,
“मैं 2004 से राजनीति में हूं। जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैंने ओबीसी की उस तरह रक्षा नहीं की, जैसी मुझे करनी चाहिए थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं आपके मुद्दों को गहराई से नहीं समझ पाया था। अगर मुझे थोड़ा भी समझ होती, तो मैं उसी समय जाति जनगणना करा देता। यह कांग्रेस की नहीं, मेरी गलती है — और अब मैं उसे सुधारना चाहता हूं।”
ओबीसी को “देश की प्रोडक्टिव फोर्स” बताया
राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय को देश की ‘उत्पादक शक्ति’ बताते हुए कहा कि उनका उद्देश्य इस वर्ग को उचित सम्मान और अधिकार दिलाना है। तेलंगाना की जाति जनगणना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां के आंकड़े साफ बताते हैं कि ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग को कॉर्पोरेट लाभ नहीं मिला, वे केवल मनरेगा की कतारों में खड़े नजर आए।इन वर्गों को सिर्फ वादे मिले हैं, सम्मान नहीं। अब उन्हें न्याय और भागीदारी दोनों दिलाना हमारा लक्ष्य है।
जाति जनगणना पर फिर दोहराया समर्थन
राहुल गांधी लंबे समय से जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं। अब उन्होंने न सिर्फ पार्टी की ओर से, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में कांग्रेस इस दिशा में निर्णायक कदम उठाएगी।
राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल करने पर विचार कर रही है, और कांग्रेस इस पहल का श्रेय भी लेना चाह रही है।राहुल गांधी की यह स्वीकारोक्ति राजनीति में ईमानदारी की एक नई मिसाल के तौर पर देखी जा रही है, जो ओबीसी समाज के साथ नए रिश्ते की शुरुआत का संकेत हो सकती है।