नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद को गुजरात पुलिस का सहयोग करने का निर्देश दिया है। फंड हेराफेरी केस में अदालत की तीन जजों की पीठ ने धन के दुरुपयोग मामले में बुधवार को आदेश पारित किया।
शीर्ष अदालत में गुजरात पुलिस की पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कहा, दोनों जांच में पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस पर तीन जजों की पीठ ने तीस्ता सीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद को धन के कथित दुरुपयोग मामले में सहयोग का निर्देश दिया।
आज बुधवार को तीस्ता सीतलवाड़ से जुड़े मुकदमे में न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश पारित किया। पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा भी शामिल हैं। इस याचिका में गुजरात सरकार ने प्रतिवादियों को अग्रिम जमानत दिए जाने को चुनौती दी है।
अदालत ने कहा, “अभी तक आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) का मानना है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति सहयोग नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उत्तरदाता (सीतलवाड़ और उनके पति) जरूरत पड़ने पर जांच में गुजरात पुलिस का पूरा सहयोग करेंगे।”
उच्चतम न्यायालय की तीन जजों की पीठ ने सीतलवाड़ की उस याचिका का भी निपटारा कर दिया जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले से कुछ अंशों को हटाने की अपील की गई थी। तीस्ता ने 8 फरवरी, 2019 के फैसले में अग्रिम जमानत देते समय की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी।
पीठ ने उनकी अग्रिम जमानत को पूर्ण बनाते हुए कहा, “यह कहना बेतुका है कि जमानत के चरण में की गई कोई भी टिप्पणी मामले की सुनवाई पर शायद ही कोई प्रभाव डाल सकती है।” सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, इस मामले में अदालत को और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
बता दें कि धन की हेराफेरी का यह मामला अहमदाबाद अपराध शाखा ने एक शिकायत पर दर्ज किया था। धन के कथित दुरुपयोग के इस मामले में सीतलवाड़ और उनके पति आनंद पर “धोखाधड़ी” से 1.4 करोड़ रुपये का अनुदान हासिल करने का आरोप है।
बता दें कि यह मामला एक दशक से भी अधिक पुराना है। दोनों पर 2008 और 2013 के बीच अपने NGO सबरंग ट्रस्ट के माध्यम से केंद्र सरकार से गलत तरीके से फंड हासिल करने के आरोप लगे हैं।