पटना। लैंड फॉर जॉब स्कैम (Land for job scam) में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार की मुश्किलें फिर बढ़ने लगी है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की टीम पटना में पूर्व CM राबड़ी देवी के आवास पर इस मामले में पूछताछ करने पहुंची है।
बताया जा रहा है कि राबड़ी देवी से पूछताछ हो रही है। साथ में दोनों बेटे बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव भी हैं। वहीं, इस मामले में आरोपित लालू प्रसाद यादव और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती अभी दिल्ली में हैं।
बता दें कि लैंड फॉर जॉब स्कैम यानी जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती की 15 मार्च को दिल्ली की अदालत में पेशी है। पेशी से 9 दिन पहले सीबीआई द्वारा पूछताछ ने राजनीतिक गलियारे में हलचल बढ़ा दी है।
क्या है रेलवे में नौकरी के बदले लोगों से जमीन लेने का मामला
आरोप है कि साल 2004 से 2009 के दौरान केंद्र की यूपीए-1 सरकार में रेलमंत्री रहते हुए लालू यादव और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी के बदले लोगों से उनकी जमीन ली थी। किसी ने तोहफे में जमीन दी, तो किसी ने कम दामों में पटना की महंगी जमीन लालू परिवार के सदस्यों को बेच दी। इस केस में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव व उनकी पुत्रियों के भी नाम हैं।
बाजार दर से कम कीमत पर हुई डील
इस मामले में पिछले साल 10 अक्टूबर को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 14 लोगों को आरोपित बनाया गया था। सीबीआई का आरोप है कि मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और केंद्रीय रेलवे के सीपीओ के साथ साजिश रचकर लालू परिवार ने नौकरी के बदले प्रचलित सर्किल रेट से काफी कम और बाजार दर से काफी कम कीमत पर जमीन हासिल की थी।
गृह मंत्रालय ने CBI को दी मुकदमा चलाने की मंजूरी
इसी केस में पिछले साल रेलवे स्टाफ ह्रदयानंद चौधरी और लालू प्रसाद यादव के तत्कालीन ओएसडी भोला यादव को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। भोला यादव 2004 से 2009 के बीच जब लालू रेल मंत्री थे, उनके ओएसडी थे। इसी साल जनवरी में इस मामले में लालू यादव के खिलाफ गृह मंत्रालय ने सीबीआई को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।
लालू परिवार को मिला केजरीवाल का साथ
राबड़ी देवी के आवास पर सीबीआई की पूछताछ पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विपक्षी पार्टी के सदस्यों पर छापे पड़ना अपमानजनक है। विपक्ष शासित राज्यों में काम ठप करने के लिए केंद्र द्वारा यह चलन बढ़ता जा रहा है। वे ईडी, सीबीआई और गवर्नर का इस्तेमाल विपरीत राज्य सरकारों को परेशान करने के लिए करते हैं।