लखनऊ : 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जगद्गुरुत्तम सेवा समिति के तत्वावधान में लखनऊ के कई स्थानों पर सामूहिक योगाभ्यास किया गया। कानपुर रोड स्थित आईपीएसआर इंस्टिट्यूट में जहां बद्री विशाल तिवारी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने योगाभ्यास किया वहीं गोमती नगर पत्रकारपुरम स्थित अखिलेश मिश्र पार्क में योगाचार्य पवन सिंह ने अशोक कुमार मिश्र व मनोज कुमार मिश्र सहित कई वरिष्ठ पत्रकारों को योग कराया।जगद्गुरुत्तम सेवा समिति के सौजन्य से योगाचार्य जयशंकर प्रसाद शुक्ल के नेतृत्व में त्रिवेणी नगर के विज्ञान विहार पार्क में एवं निराला नगर में अखिलेश वाजपेई के नेतृत्व में भी सामूहिक योगाभ्यास किया गया।
इस अवसर पर आईपीएसआर इंस्टिट्यूट के प्रमुख बद्री विशाल तिवारी ने कहा कि 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया था। उन्होंने बताया कि जगद्गुरुत्तम सेवा समिति द्वारा ऋषिकेश व वृंदावन में निशुल्क नेचुरोपैथ सेंटर चलाया जा रहा है। बिना दवा के सभी को स्वस्थ रखने के लिए इस केंद्र में नेचुरोपैथी के साथ योगाभ्यास भी कराया जाता है। इस केंद्र से अब तक हजारों लोग स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि योग शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति का साधन है। सभी कार्य सभी पूर्ण हो सकते हैं, जब शरीर साथ दें। काया स्वस्थ है, तो मन स्वयं ही स्वस्थ हो जाएगा।
उन्होंने संस्थान के बच्चों से योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाने की अपील करते हुए कहा कि प्राचीन भारत के ऋषियों ने सभी के लिए जीवेत शरदः शतम की कामना की थी। अच्छे स्वास्थ्य को सबसे बड़ी पूंजी बताया था। इसके लिए आहार, विहार, योग, यम, प्राणायाम का मंत्र दिया। प्रकृति के निकट रहने, उसके संरक्षण व संवर्धन के सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। बल्कि इससे मन मष्तिष्क व विचारों में भी संतुलन स्थापित होता है।
यह आत्मानुशासन और आत्मसंयम का भाव भी जाग्रत करता है। योग प्राचीन काल से भारत की धरोहर है। एक बार फिर विश्व में इसकी अलख जग रही है। विश्व के प्रत्येक देश योग का महत्व समझ रहे हैं। इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धरना ध्यान, समाधि तक विस्तार है। यह व्यक्तिगत व समाज जीवन का एक साथ कल्याण करता है। योग को लेकर भारत का आम नागरिक अपनी जिम्मेदारी को समझ रहा है। योग सामान्य व्यायाम या कसरत नहीं है। यह सम्पूर्ण जीवनशैली को बदल देता है। इससे सकारात्मक विचार बढ़ते हैं।