गुजरात से हरेश टांक की विशेष रिपोर्ट
सोमनाथ (गुजरात)। आज पूरा देश महापर्व महाशिवरात्रि मना रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के बारे में जहां आज भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। आज महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर प्रशासन ने भी पर 48 घण्टे लगातार मंदिर खुला रखने का निर्णय लिया है। सुबह चार बजे मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया गया था और लोग दर्शन करने कतारों में लग गए थे। चारों तरफ हर हर महादेव के नारों की गूंज सुनाई दे रही है।
सोमनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम माना जाता है। गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित इस मंदिर में देश-विदेश से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन करने से सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है।
कहा जाता है कि आक्रमणकारियों और शासकों ने 6 बार इस मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें असफल रहे लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजरात स्थित सोमनाथ शिवलिंग की स्थापना किसने की थी। अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।
सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथा
मान्यताओं के मुताबिक स्वयं चंद्रदेव ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। यही वजह है कि इस शिवलिंग को सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।
कथा के मुताबिक प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा के साथ अपनी 27 कन्याओं का विवाह किया था लेकिन अपनी 27 पत्नियों में से चंद्रमा सबसे ज्यादा रोहिणी को प्यार करते थे। इस वजह से दक्ष की अन्य पुत्रियां रोहिणी से जलने लगीं। वहीं, जब इस बारे में दक्ष को पता चला, तो उन्होंने क्रोधित होकर चंद्रमा को श्राप दे दिया।
दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया कि वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। बाद में अपने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने ब्रह्मदेव के कहने पर प्रभास क्षेत्र भगवान शिव की घोर तपस्या की। इस दौरान चंद्र देव ने शिवलिंग की स्थापना कर उनकी पूजा की।
चंद्रमा की कठोर तपस्या से खुश होकर भगवान शिव से उन्हें श्राप मुक्त करते हुए अमरता का वरदान दिया। इस श्राप और वरदान की वजह से ही चंद्रमा 15 दिन बढ़ता और 15 दिन घटता रहता है। वहीं, श्राप में मुक्ति के बाद चंद्रमा ने भगवान शिव से उनके बनाए शिवलिंग में रहने की प्रार्थना की और तभी से इस शिवलिंग को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगा।