ऑफ़बीट
इस रेस्टोरेंट में इशारों मांगना पड़ता है खाना, अगर किसी के मुंह से निकलती है आवाज तो…
नई दिल्ली। दुनिया में कई ऐसे रेस्टोरेंट ऐसे हैं जो अपने अजीबीगरीब थीम की वजह से काफी फेमस है। आज हम आपको एक ऐसे रेस्टोरेंट के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी थीम की वजह से ये सुर्खियां बटोर रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक दुनिया में एक ऐसा रेस्टोरेंट भी मौजूद है जहां लोगों को बिना बोले खाना ऑर्डर करना होता है।
यह अजीबोगरीब रेस्टोरेंट चीन के ग्वांगझू में खुला है। इस रेस्टोरेंट की शुरूआत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी फूड चेन स्टारबक्स ने की है। कंपनी ने इसकी थीम की वजह से रेस्टोरेंट को साइलेंट कैफे नाम दिया है।
रेस्टोरेंट की खासियत की बात करें तो यहां आने के बाद ग्राहकों को इशारों में खाना ऑर्डर करना होता है। अगर किसी कर्मचारी को लोगों की बात नहीं समझ आती हैं तो उसके लिए नोटपैड पर लिखकर देने की भी सुविधा दी गई है।
इस रेस्टोरेंट की दीवारों पर सांकेतिक भाषा के चिह्न और सूचक यानी इंडिकेटर बनाये गये हैं ताकि उनके मतलब को आसानी से समझा जा सके। दरअसल, इस रेस्टोरेंट को खोलने का लक्ष्य ग्राहकों को ना सुन पाने वाले लोगों की भाषा समझने के लिए प्रेरित करना है।
इस रेस्टोरेंट में फिलहाल 30 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें से 14 कर्मचारी ऐसे हैं, जो सुन नहीं सकते। स्टारबक्स ने अपने इस रेस्टोरेंट में ऐसी व्यवस्था की है, जिससे सुन सकने में असमर्थ लोगों को भविष्य में अधिक से अधिक काम मिल सके।
स्टारबक्स कंपनी पहले भी दुनिया में इस तरह का रेस्टोरेंट खोल चुकी है। साल 2016 में मलेशिया में और 2018 में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में साइलेंट कैफे मौजूद है। इस कंपनी के दुनियाभर में कई स्टोर्स हैं, जिनमें से 3800 तो सिर्फ चीन में ही हैं।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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