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प्रादेशिक

सीएम योगी बोले- प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ‘ट्रेस, टेस्ट एंड ट्रीट’ पॉलिसी को प्रभावी ढंग से जारी रखने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने कहा की पिछले 24 घंटों में 2,86,396 कोविड टेस्ट किए गए हैं। प्रदेश में अब तक कुल 5,41,45,947 कोरोना टेस्ट किए गए हैं। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर 98.3 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि बाजारों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ न होने पाए। इसके लिए प्रभावी प्रयास किए जाएं। आवागमन को सुचारु बनाए रखने तथा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए व्यापक रूप से पब्लिक एड्रेस सिस्टम का प्रयोग किया जाए। बाहर निकलने वाले लोग अनिवार्य रूप से मास्क का प्रयोग एवं दो गज की दूरी के नियम का पालन करें। टेस्टिंग की प्रक्रिया व्यवस्थित ढंग से चलती रहनी चाहिए। संक्रमण को नियंत्रित रखने के लिए पर्याप्त संख्या में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाए। ब्लैक फंगस के मरीजों को केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई दवाओं के अतिरिक्त, विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार वैकल्पिक दवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। निगरानी समितियों द्वारा लक्षण युक्त तथा संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को मेडिसिन किट उपलब्ध कराने का कार्य सुचारु रूप से चल रहा है। बच्चों को निःशुल्क दवाई किट उपलब्ध कराने का विशेष अभियान प्रारम्भ हो गया है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों के सम्पर्क मार्ग के सुदृढ़ीकरण का कार्य ग्राम्य विकास विभाग और पंचायती राज विभाग द्वारा कराया जाए। नगर निकायों में स्थित सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के सम्पर्क मार्ग के सुदृढ़ीकरण का कार्य नगर विकास विभाग द्वारा कराया जाए। पीडियाट्रिक ICU (PICU) तथा नियोनेटल ICU (NICU) का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। इसकी नियमित समीक्षा भी की जा रही है। राज्य में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की प्रक्रिया को गति देने के लिए गंभीर प्रयास किए जाएं। कोविड-19 की उपचार व्यवस्था को लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में कोविड बेड्स की संख्या में बढ़ोतरी की प्रक्रिया निरन्तर चल रही है। बेड्स की संख्या में वृद्धि के साथ ही मानव संसाधन में भी बढ़ोतरी की जा रही है। प्रदेश में 09 और ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की स्वीकृति प्राप्त हो गई है। इस प्रकार राज्य में कार्यशील निर्माणाधीन एवं स्वीकृत कुल ऑक्सीजन संयंत्रों की संख्या बढ़कर 436 हो गई है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में 99 ऑक्सीजन संयंत्र कार्यशील अवस्था में हैं। प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। विगत 24 घंटों में प्रदेश में 302 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है। अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों तथा रीफिलर्स के पास पर्याप्त बैकअप के साथ ऑक्सीजन उपलब्ध है। प्रदेश के अधिक से अधिक लोगों के वैक्सीनेशन के लिए योजनाबद्ध एवं प्रभावी ढंग से कार्यवाही की जानी चाहिए। ग्रामीण जनता को कोरोना वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने हेतु जागरूकता अभियान चलाया जाए।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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