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प्रादेशिक

वैक्सीनेशन के मामले में सबसे आगे निकला यूपी, 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने वाला बना पहला राज्य

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने देश में अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे पहले कोरोना से बचाव के लिये 3 करोड़ से अधिक लोगों को टीकाकरण खुराक देने में कीर्तिमान स्थापित किया है। तेजी से बीमारी में रोकथाम में सरकार का यह प्रयास ‘मील का पत्थर’ साबित हुआ है। बीमारियों को रोकने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यूपी मॉडल ने प्रत्येक दिन नई उपलब्धियां अपने नाम की हैं। टीकाकरण अभियान का भी इसमें विशेष योगदान रहा है। ‘जीत का टीका’ लगवाने के लिये सरकार के प्रयासों का ही असर है कि लोगों में भी इसके प्रति उत्साह लगातार बढ़ रहा है।

शनिवार को दोपहर 1:30 बजे के बाद सरकार ने प्रदेश में 3 करोड़ से अधिक लोगों को टीकाकरण खुराक देने की बड़ी उपलब्धि हासिल की। राज्य सरकार बीमारी की रोकथाम के लिये किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ना चाहती है। जनवरी माह से ही प्रदेश में उसने टीकाकरण कराने का अभियान शुरू किया। टीकाकरण अभियान की समय-समय पर निगरानी और प्रत्येक वर्ग को टीका कवर देने के प्रयास तेजी से शुरू किये गये। बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण कराना संभव हुआ। टीका कवर देने में सफल साबित हुई राज्य सरकार ने अब अगस्त माह तक 10 करोड़ की जनसंख्या के वैक्सीनेशन का लक्ष्य दिया है। इसके लिये फुलप्रूफ प्लान बनाया गया है। अधिकारी इस लक्ष्य को पाने के लिये पूरी ताकत से जुटे हैं।

प्रदेश में शुरू हुए प्रत्येक वर्ग के टीकाकरण अभियान में युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक जबदस्त उत्साह दिखाई दे रहा है। प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने में जुटी राज्य सरकार बीमारी से बचाव में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। इसके लिये 18 से 44 आयु और 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।

18 से 44 वर्ष के लोगों के लिये 5000 सेंटर बनाए गये हैं। जबकि 45 की आयु के ऊपर के लोगों के लिये 3000 सेंटरों पर टीकाकरण चल रहा है। 12 साल से कम उम्र के अभिभावकों के लिये 200 बूथ बनाए गये हैं। महिलाओं का टीकाकरण करने के लिये प्रत्येक जिले में पिंक बूथ बनाए गये। विदेशों में पढ़ाई, नौकरी और खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने जाने वालों के लिये भी जिला अस्पतालों में टीकाकरण की सुविधा प्रदान की है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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