प्रादेशिक
यूपीः अगस्त तक हर बच्चें के हाथों में होगी किताब, छात्रों के घर तक पुस्तकें पहुंचाने का किया जा रहा है काम
लखनऊ। कोरोना काल में भी प्रदेश सरकार ने प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी । छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराने के साथ बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए छात्रों के घर तक पुस्तकें पहुंचाने का काम किया जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग अब तक 65 प्रतिशत किताबों का मुद्रण करा कर जिलों में भेज चुका हैं।
जिलों से यह किताबें छात्रों को वितरित की जा रही हैं। पाठ्य पुस्तक अधिकारी श्याम किशोर तिवारी के मुताबिक दस दिन में शेष पुस्तकों को प्रिंट करा लिया जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग प्राथमिक व उच्च प्राथमिक, राजकीय एवं सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल, माध्यमिक विद्यालयों एवं सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकों व कार्य पुस्तिकाओं का वितरण कराता है।
पिछले सत्र में परिषदीय विद्यालयों के 1,83,72932 छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकों के साथ कार्य पुस्तिकाएं वितरित की गई थीं जबकि वर्तमान 2021-22 में 1 करोड़ 85 लाख से अधिक छात्रों को पुस्तकों का वितरण किया जाना है।
श्याम किशोर तिवारी ने बताया कि पुस्तकों के मुद्रण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। कक्षा एक से आठ तक के छात्रों की 65 प्रतिशत किताबों को मुद्रण पूरा हो चुका है। शेष 35 प्रतिशत किताबों का मुद्रण अगस्त के दूसरे सप्ताह तक पूरा हो जाएगा।
किताबों को जिलों में भेजने का काम भी तेजी से किया जा रहा है ताकि जिलों से छात्रों तक किताबें जल्दी पहुंच सके। पुस्तक वितरण में शिक्षकों को लगाया गया है, जो छात्रों के घर जाकर किताबें पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
1.83 करोड़ छात्रों को दिए नि:शुल्क बैग
बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में पिछले सत्र 2020-21 में 1,59,44042 छात्रों को सरकार की ओर से नि:शुल्क जूता मोजा व स्वेटर वितरित किए गए थे। इसके अलावा 1.83 करोड़ छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क स्कूल बैग बांटे गए थे।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार कराएगी छात्रों की शैक्षिक क्षमता का मूल्यांकन
लखनऊ। योगी सरकार ने अब शिक्षा गुणवत्ता मापने की दिशा में एक अहम कदम उठाने का निर्णय लिया है। योगी सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को समझने और उसमें नीतिगत सुधारों के लिए आधार तैयार करने के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और एनसीईआरटी के सहयोग से 4 दिसंबर को परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 का आयोजन कराने जा रही है। इसमें उत्तर प्रदेश में 9,715 चयनित विद्यालय शामिल हैं, जिनमें सरकारी, सहायता प्राप्त निजी विद्यालय, मदरसे और अन्य बोर्डों से मान्यता प्राप्त विद्यालय सम्मिलित हैं। बता दें कि यह सर्वेक्षण देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों का मूल्यांकन करने के लिए आयोजित किया जाएगा।
इस स्तर के छात्रों का होगा मूल्यांकन
यह सर्वेक्षण प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों का आकलन करने के लिए किया जा जाएगा। सर्वेक्षण में कक्षा 3, 6 और 9 के छात्रों की उपलब्धियों को आंका जाएगा, जो सैंपल्ड विद्यालयों में किया जाना है।
ये हैं सर्वेक्षण के मुख्य बिंदु
कक्षा 3, 6 और 9 के लिए अलग-अलग विषयों को मूल्यांकन का आधार बनाया गया है। इनमें कक्षा 3 और कक्षा 6 के लिए भाषा, गणित और हमारे आस-पास की दुनिया तथा कक्षा 9 के लिए भाषा, गणित, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान विषय को सर्वेक्षण का मुख्य बिंदु बनाया गया है।
किया गया है दायित्वों का निर्धारण
परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण के सम्बन्ध में जनपद स्तरीय समन्वयक, डायट प्राचार्य एवं जिला विद्यालय निरीक्षक के दायित्व निर्धारित किये गये हैं। इनमें जनपद स्तरीय समन्वयक द्वारा सर्वेक्षण का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण सम्बन्धी समस्त दायित्वों का निर्वहन किया जाना शामिल है। इसके अलावा जनपद स्तरीय सहायक समन्वयक/मास्टर ट्रेनर द्वारा फील्ड इन्वेस्टीगेटर (FI) का प्रशिक्षण निर्धारित समयावधि के अंतर्गत कराने की जिम्मेदारी दी गयी है। सर्वेक्षण का कार्य प्रशिक्षित फील्ड इन्वेस्टीगेटर (FI) से ही कराया जाना सुनिश्चित है।
इंवेस्टिगेटर के दायित्व हैं सुनिश्चित
फील्ड इंवेस्टिगेटर के दायित्व भी निश्चित हैं। असेंबली से पहले स्कूल पहुँच कर ये सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य मिलेंगे और परख गाइडलाइन के अनुसार सर्वेक्षण सम्बन्धी गतिविधियाँ आरम्भ करेंगे। इन्हें यह भी सुनिश्चित करना है कि अचीवमेन्ट टेस्ट पैकेट सीलबंद है और सील टूटी हुई नहीं है। सेक्शन और छात्रों की आवश्यकता अनुसार सैंपलिंग करेंगे और कन्ट्रोल शीट भरना भी इनकी जिम्मेदारी होगी।
हापुड़, मुजफ्फरनगर, सुल्तानपुर, मुरादाबाद और एटा डायट में होगा इन जिलों का प्रशिक्षण
एससीईआरटी लखनऊ के संयुक्त निदेशक पावन सचान ने बताया कि गाजियाबाद, शामली, अमेठी, सम्भल और कासगंज में डायट नहीं हैं। इस वजह से इन जिलों हेतु संदर्भित सर्वेक्षण से सम्बन्धित समस्त कार्य क्रमशः प्राचार्य, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान हापुड़, मुजफ्फरनगर, सुल्तानपुर, मुरादाबाद तथा एटा द्वारा सुनिश्चित कराये जायेंगे।
बच्चों की समझ और प्रदर्शन का होगा आकलन: संदीप सिंह
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने बताया कि इस सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश के कक्षा 3, 6 और 9 के छात्रों की भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में समझ और प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। इससे न केवल छात्रों की वास्तविक शैक्षिक क्षमता का मूल्यांकन हो सकेगा बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में ठोस कदम भी उठाये जा सकेंगे। यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और गोपनीयता के साथ सुनिश्चित की जाएगी।
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