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खेल-कूद

ओलंपिकः सोना जीतने से चूकी भारतीय हॉकी टीम, कांस्य की उम्मीदें बरकरार

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नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम का ओलंपिक में सोना जीतने का सपना मंगलवार को टूट गया। इससे पहले हॉकी टीम 1980 के मास्को ओलंपिक में फाइनल तक पहुंचने में रही थी। 41 साल बाद भारत के पास ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने का मौका था लेकिन टीम ने बेल्जियम के हाथों सेमीफाइनल मैच 2-5 से गंवा दिया। अब भारतीय टीम कांस्य जीतने का प्रयास करेगी, जो उसने अंतिम बार 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में जीता था।

ओई हॉकी स्टेडियम नॉर्थ पिच पर खेले गए इस मैच में एक समय भारत 2-1 से आगे था लेकिन दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैक फ्लिकरों में से एक एलेक्सजेंडर हेंडरिक्स (19वें, 49वें, 53वें) की शानदार हैट्रिक के दम पर मौजूदा वर्ल्ड चैम्पियन बेल्जियम ने भारत को एकतरफा हार को मजबूर कर दिया।

बेल्जियम की टीम लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंची है। वह हालांकि अब तक स्वर्ण नहीं जीत सकी है। साल 2016 के रियो ओलंपिक खेलों के फाइनल में उसे अर्जेटीना के हाथों 2-4 से हार मिली थी।

साल 1980 में अपने ओलंपिक इतिहास का आठवां स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम को अब कांस्य के लिए प्रयास करना होगा। भारत का यह मैच किससे होगा, इसका फैसला जर्मनी और आस्ट्रेलिया के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के बाद हो जाएगा। वहीं इस मैच के विजेता से बेल्जियम भिड़ेगा।

बहरहाल, मैच का पहला गोल बेल्जियम की ओर से हुआ। यह गोल लोइक फेनी लुपर्ट ने दूसरे मिनट में हासिल पेनाल्टी कार्नर पर किया। मैच शुरु होने के साथ ही भारत पीछे हो चुका था।

भारतीय टीम दबाव में थी। लेकिन इस दबाव से निकलकर सातवें मिनट में गोल कर हरमनप्रीत सिंह ने मैच में रोमांच ला लिया। हरमनप्रीत ने यह गोल पेनाल्टी कार्नर पर किया। अब स्कोर 1-1 हो चुका था।

इसके बाद कप्तान मंदीप सिंह खुद मोर्चा सम्भाला और नौवें मिनट में एक बेहतरीन फील्ड गोल के जरिए भात को 2-1 से आगे कर दिया। पहले ही क्वार्टर में पिछड़ने के बाद बेल्जियम ने बराबरी के लिए हमला तेज कर दिया। इस क्रम में उसे 19वें मिनट में सफलता मिली। एलेक्सजेंडर रॉबी हेंडरिक ने पेनाल्टी कार्नर पर गोल कर स्कोर 2-2 कर दिया।

तीसरे क्वार्टर में कोई गोल नहीं हुआ। चौथे क्वार्टर में बेल्जियम ने अचानक ही रफ्तार पकड़ी और 49वें मिनट में हासिल पेनाल्टी कार्नर पर हेंडरिक्स ने गोल कर 3-2 की लीड दिला दी। तीसरे क्वार्टर और चौथे क्वार्टर की शुरुआत तक बेल्जियम ने 7 पेनाल्टी कार्नर हासिल किए।

अंतिम समय में भारत की रक्षापंक्ति में सेंध लग चुकी थी। बेल्जियम को लगातार पेनाल्टी कार्नर मिल रहे थे। इसी क्रम में उसने 53वें मिनट में पेनाल्टी स्ट्रोक हासिल किया, जिस पर गोल कर हेंडरिक्स ने अपनी टीम को 4-2 से आगे कर उसकी जीत पक्की कर दी।

बेल्जियम की टीम इसके बाद भी नहीं रुकी और अंतिम मिनट में एक और गोल करते हुए 5-2 की लीड ले ली। बेल्जियम के लिए यह गोल डोमिनिक डॉहमैन ने 60वें मिनट में किया।

भारत ने म्यूनिख ओलंपिक में पाकिस्तान के हाथों सेमीफाइनल मुकाबला 0-2 से गंवाने के बाद कांस्य पदक के मुकाबल में नीदरलैंडस को 2-1 से हराया था। इसके बाद भारत ने सीधे मास्को में गोल्ड जीता लेकिन बीते 41 साल से भारत की झोली खाली है। अब देखने वाली बात यह है कि इस झोली में कांस्य भी आती है या नहीं।

खेल-कूद

विराट कोहली ने की है 12वीं तक पढ़ाई, इस सब्जेक्ट का नाम सुनकर ही आ जाता था पसीना

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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली आज अपना 36वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने 16 साल के करियर में विराट इतने आगे निकल गए हैं कि उनके रिकार्ड्स को तोड़ना लगभग नामुमकिन सा लगता है। आज विराट के जन्मदिन के मौके पर हम आपको ऐसी बात बताने जा रहे हैं जो आपने शायद पहले कभी नहीं सुनी होगी। आज हम आपको बताएंगे कि मैदान पर अपनी बल्लेबाजी से गेंदबाजों को डराने वाले विराट किससे डरा करते थे।

आपको जानकर हैरानी होगी कि मैदान पर रिकॉर्ड्स के अंबार लगाने वाले विराट कोहली ने केवल 12वीं तक की ही पढ़ाई की है। क्रिकेट के प्रति दीवानगी के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। विराट ने दिल्ली की ‘विशाल भारती पब्लिक स्कूल’ से पढ़ाई की है। स्कूल की वेबसाइट में भी एल्युमनाई में कोहली का जिक्र है और उनकी तस्वीरें भी लगा रखी है।

दिल्ली के जानेमाने स्कूल में से एक इस स्कूल को कई अवार्ड मिल चुके हैं। विराट का फेवरेट सब्जेक्ट हिस्ट्री था। विराट हमेशा से ही अतीत की बातें सीखने के लिए उत्सुक रहते थे। मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट था जिसके बारे में सुनकर विराट के पसीने छूट जाते थे। कहा जाता है कि एक बार विराट को मैथ्स में 100 में केवल 3 ही मार्क्स मिले थे।

विराट कोहली की ही कप्तानी में भारतीय टीम ने 2008 का अंडर-19 वर्ल्ड कप जीती थी। यह टूर्नामेंट मलेशिया में खेला गया था। इस शानदार प्रदर्शन के दम पर कोहली ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला इंटरनेशनल मैच 18 अगस्त 2008 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था।

 

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