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उत्तर प्रदेश

मथुरा: अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर अदालत में अर्जी, की गई यह मांग

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मथुरा। काशी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर मथुरा कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया है।

जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद की सुरक्षा बढ़ाए जाने के साथ ही वहां आने जाने पर रोक और सुरक्षा अधिकारी को नियुक्त करने की मांग को लेकर वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने मथुरा कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है।

श्रीकृष्ण जन्म भूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत में अर्जी लगाते हुए कहा है कि जिस तरह से ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सामने आया है, अब कृष्ण जन्म भूमि की जमीन पर बनी ईदगाह के गर्भस्थल को सील किया जाए। साथ ही डीएम व एसएसपी को आदेश दिया जाए कि वहां पर पुलिसबल तैनात करके साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना को रोकें।

ईदगाह मस्जिद का भी सर्वे कराने की मांग

बता दें मथुरा में नारायणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष यादव, अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्याय के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने वाराणसी की ज्ञानव्यापी मस्जिद की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि व ईदगाह प्रकरण में शाही ईदगाह पर सर्वे की मांग की थी।

तीनों ने ही इस संबंध में अदालत में प्रार्थनापत्र दिया, जिसमें कहा गया कि शाही ईदगाह परिसर का भी अधिवक्ता कमीशन द्वारा सर्वे किया जाना चाहिए। अदालत ने उनके प्रार्थनापत्र को स्वीकार कर एक जुलाई को सुनवाई का निर्णय लिया है।

ताकि नष्ट न किए जा सकें सबूत

उन्होंने प्रतिवादियों पर आरोप लगाया है कि वह ईदगाह परिसर से उन सबूतों को नष्ट कर सकते हैं, जिनसे स्पष्ट होता है कि भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर तोड़कर ईदगाह तैयार की गई है। इस संबंध में अधिवक्ता कमीशन गठित किया जाना चाहिए।

अदालत पहुंचे मनीष यादव ने बताया कि अदालत ने अधिवक्ता कमीशन संबंधी उनकी मांग के प्रार्थनापत्र पर एक जुलाई की तारीख सुनवाई के लिए तय की है। एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ईदगाह स्थल ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान का गर्भ गृह है। कमीशन सर्वे करे, ताकि वहां से सबूत नष्ट न किए जा सकें, क्योंकि वहां पर मंदिर के अवशेषों से छेड़छाड़ की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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