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नेशनल

ज्ञानवापी: SC में दायर की गई हस्तक्षेप याचिका, मंदिर को लेकर कही यह बात

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नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला अदालत से लेकर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं दायर हुई हैं, इन याचिकाओं पर विभिन्न अदालतों में सुनवाई भी जारी है।

इसी क्रम में देश की शीर्ष अदालत में आज एक हस्तक्षेप याचिका (intervention petition) दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि मंदिर की जमीन पर बनी मस्जिद को मस्जिद नहीं माना जा सकता है। किसी मंदिर की छत व दीवारें गिराने से उसका स्वरूप नहीं बदलता है।

हस्तक्षेप याचिका में उपाध्याय ने कहा है कि किसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर हमेशा मंदिर रहता है, जब तक कि वह अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया जाए या मूर्ति का विधि विधान से विसर्जन न हो। मंदिर और मस्जिद का धार्मिक स्वरूप पूरी तरह से भिन्न है, इसलिए एक ही कानून दोनों के लिए लागू नहीं किया जा सकता।

अर्जी में आगे कहा गया है कि मंदिर की जमीन पर बनी मस्जिद मस्जिद नहीं हो सकती है। ऐसा निर्माण न केवल इस्लामी कानून के खिलाफ है, बल्कि इस आधार पर भी गलत है कि एक बार देवता में निहित संपत्ति देवता की संपत्ति और अधिकार बनी रहती है। देवता और भक्त कभी नष्ट नहीं होते, चाहे कितनी भी लंबी अवधि तक ऐसी संपत्ति पर अवैध कब्जा रहे।

याचिका में यह भी कहा गया है कि केवल उन्हीं धर्मस्थलों का संरक्षण किया जाना चाहिए, जिन्हें संबंधित व्यक्ति ने पर्सनल लॉ के तहत बनाया है, लेकिन जो धर्म स्थल इस कानून का अपमान करते हुए बनाए गए हैं, उन्हें धर्मस्थल नहीं कहा जा सकता।  हालांकि बर्बर आक्रांताओं  के अवैध कृत्यों को वैधानिक रूप देने की अंतिम तिथि अगस्त 1947 मानी गई है।

उनका कहना है कि संविधान का अनुच्छेद 13 हिंदुओं, जैन, बौद्धों व सिखों को अपने धर्म के प्रचार व धर्मस्थलों की रक्षा का अधिकार देता है। यह अनुच्छेद ऐसा कोई कानून बनाने से रोकता है, जो उनके इस अधिकार का हनन करता हो। इतना ही नहीं इस्लामिक कानूनों के खिलाफ बने धर्मस्थल को मस्जिद नहीं माना जा सकता।

1991 के कानून में देश की आजादी के दिन से सभी धर्मस्थलों की यथास्थिति कायम रखने की बात कही गई है। इसमें अदालतों को इन धर्मस्थलों का स्वरूप बदलने की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई नहीं करने का प्रावधान है। पहले से लंबित ऐसे मामलों को भी खत्म करने का प्रावधान है।

हालांकि इस कानून में राम जन्मभूमि स्थल को अपवाद माना गया है, इसके आधार पर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकती हैं। बता दें कि अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पूर्व में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (अधिनियम) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली भी याचिका दायर की थी।

 

उत्तर प्रदेश

दिवाली के दिन यूपी के इस जिले में 25 करोड़ की शराब पी गए लोग

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गौतमबुद्ध नगर। उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला अक्सर चर्चा में रहता है। चाहे वो सोसाइटीज की समस्या को लेकर हो या विकास की रफ्तार को लेकर हो या फिर त्योहारों पर बिक्री को लेकर। दिवाली का त्योहार बीत गया है।

इस बीच, दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले में शराब की बिक्री को लेकर जानकारी सामने आई है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल यहां शराब की बिक्री में 25 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। यानी दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले के लोग शराब के नशे में भी खूब झूमे हैं।

दिवाली में पिया 25 करोड़ की शराब

दिवाली के जश्न के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले में लोग 25 करोड़ रुपये की शराब गटक गए, जो पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पूरे अक्टूबर माह में जिले के लोगों ने 250 करोड़ रुपये शराब पर खर्च किए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 204 करोड़ रुपये था।

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