उत्तर प्रदेश
ज्ञानवापी केस: निर्मोही अखाड़े व एक अन्य ने दायर की याचिका, यह है मांग
वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे और उसकी रिपोर्ट पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें पेश कर रहा है। इस बीच जिला जज की अदालत में दो और याचिकाएं दायर की गई हैं।
इसमें एक में पक्षकार बनाने और दूसरे में पक्षकार बनाने के साथ-साथ श्रृंगार गौरी की निममित पूजा पाठ की मांग की गई है। एक याचिका निर्मोही अखाड़े की तरफ से पेश की गई है जबकि दूसरी याचिका वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से दायर हुई है।
विजय शंकर रस्तोगी की ओर से श्रृंगार गौरी मामले की वैधता पर हो रही सुनवाई में पक्षकार बनने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की गई है। विजय शंकर का कहना है कि मूल वाद जो 1991 से चला आ रहा है, उसमें वादी होने के नाते मेरा कर्तव्य बनता है कि इस मामले में पक्षकार बनूं।
दूसरी ओर निर्मोही अखाड़े ने मंदिर में नित्य दर्शन और हिंदुओं के अधिकार को लेकर याचिका दायर की है। याचिका में निर्मोही अखाड़े को पक्षकार बनाने की मांग की गई है। अयोध्या राम मंदिर में भी निर्मोही अखाड़े ने अहम भूमिका निभाई थी।
वहीं, सक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने को लेकर स्पेशल सीजेएम की अदालत में 156(3) के तहत वादी जितेंद सिंह विशेन की ओर से एक याचिका दाखिल की गई है। इसकी सुनवाई हुई और शाम तक इस पर कोई आदेश आ सकता है।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडे द्वारा एसीजेएम-पंचम अदालत में धारा 156 (3) के तहत दाखिल अर्जी पर मुस्लिम पक्ष की ओर से बार कौंसिल ऑफ इंडिया के सह अध्यक्ष श्रीनाथ त्रिपाठी ने क्षेत्राधिकार न होने का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने के लिए अर्जी दी है। अदालत ने प्रार्थना पत्र को पत्रावली के साथ पेश करने का आदेश दिया है। सुनवाई 2 जून को होगी।
मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक पर फैसला 4 बजे तक
सिविल जज फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में किरन सिंह विसेन की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। इस पर फैसला शाम 4 बजे आएगा।
किरन सिंह की ओर से दायर याचिका में ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और पूजा के अधिकार की मांग की गई है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने वाद पत्र की प्रति उपलब्ध नहीं कराने की जानकारी कोर्ट को दी है। सुनवाई के लिए समय मांगा गया है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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