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बिजनेस

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है भारत, एक साल में 13 हजार करोड़ का निर्यात

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नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। खासकर घरेलू तकनीक को विकसित करने और उसे दुनिया तक पहुंचाने के मामले में तो देश का डिफेंस सेक्टर लगातार अग्रसर है।

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत ने रक्षा निर्यात क्षेत्र में 13 हजार करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लिया। यह वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 54.1 फीसदी की बढ़ोतरी है।

हालांकि, एक चौंकाने वाली बात यह है कि कुल निर्यात में 70 फीसदी हिस्सा प्राइवेट सेक्टर का है, जबकि पब्लिक सेक्टर की कंपनियों की ओर से सिर्फ 30 फीसदी निर्यात ही हो सका।

रक्षा उत्पादन विभाग के अतिरिक्त सचिव संजय जाजू के मुताबिक, देश का रक्षा निर्यात मुख्यत: अमेरिका, फिलीपींस, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों को हुआ है। 2020-21 में भारत का रक्षा निर्यात 8 हजार 434 करोड़ रुपये था, जबकि 2019-20 में यह 9 हजार 115 करोड़ रुपये तक पहुंचा था।

भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2015-16 में महज 2059 करोड़ रुपये पर था। दूसरी तरफ पिछले दो साल कोविड के कारण सुस्ती रही, लेकिन इस बार हमने अच्छी प्रगति की है। पांच साल पहले की तुलना में भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में रक्षा निर्यात आठ गुना तक बढ़ाया है।

संजय जाजू ने कहा, निजी क्षेत्र की कंपनियों ने करीब 70 फीसदी निर्यात कर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में भारत ने फिलीपींस के साथ 37.5 करोड़ डॉलर (करीब 2770 करोड़ रुपये) की डील की थी।

इसके तहत भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की आपूर्ति का समझौता किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम में एक निजी क्षेत्र की कंपनी और एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को अवॉर्ड देंगे।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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