उत्तर प्रदेश
सपा-भाजपा की मिलीभगत, अखिलेश यादव के बयान अनर्गल व बचकाने: मायावती
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आज तीन ट्वीट के जरिए समाजवादी पार्टी के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी पर भी बड़ा हमला बोला है। उप्र की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने कहा कि सपा तो उप्र में अपना जनाधार ही खोती जा रही है।
1. सपा यूपी में अपना जनाधार खोती जा रही है, जिसके लिए उसका अपना कृत्य ही मुख्य कारण है। परिवार, पार्टी व इनके गठबंधन में आपसी झगड़े, खींचतान तथा आपराधिक तत्वों से इनकी खुली सांठगांठ व जेल मिलान आदि की खबरें मीडिया में आमचर्चाओं में है तो फिर लोगों में निराशा क्यों न हो? 1/3
— Mayawati (@Mayawati) September 10, 2022
मायावती ने कहा कि इस हालत के लिए उसका अपना कृत्य ही मुख्य कारण है। सपा में अब परिवार, पार्टी व इनके गठबंधन में आपसी झगड़े, खींचतान तथा आपराधिक तत्वों से इनकी खुली सांठगांठ व जेल मिलान आदि की खबरें मीडिया में आमचर्चाओं में है तो फिर लोगों में निराशा क्यों न हो। लोगों में इससे काफी निराशा है।
2. साथ ही, सपा की भाजपा के साथ अन्दरुनी मिलीभगत किसी से छिपी नहीं है और यही खास वजह है कि सपा के मुख्य विपक्षी पार्टी होने पर बीजेपी सरकार को यहाँ वाकओवर मिला हुआ है व सरकार को अपनी मनमानी करने की छूट है। इससे आमजनता व खासकर मुस्लिम समाज का जीवन त्रस्त व उनमें काफी बेचैनी। 2/3
— Mayawati (@Mayawati) September 10, 2022
सपा और भाजपा में मिलीभगत
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सपा की भाजपा के साथ अन्दरुनी मिलीभगत किसी से छिपी नहीं है। यही खास वजह है कि सपा के मुख्य विपक्षी पार्टी होने पर भाजपा सरकार को उप्र में तो वाकओवर मिला हुआ है। प्रमुख विपक्षी दल के शांत रहने के कारण ही सरकार को अपनी मनमानी करने की छूट है। सपा के इस आचरण से ही आमजनता व खासकर मुस्लिम समाज का जीवन त्रस्त व उनमें काफी बेचैनी है।
3. सपा मुखिया अपनी इसी प्रकार की जनविरोधी कमियों को छिपाने के लिए दूसरों के खिलाफ अक्सर अनर्गल व बचकानी बयानबाजी आदि करके व करवाकर लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास करते रहते हैं, जिससे लोगों व देश की अन्य विपक्षी पार्टियों को भी सपा से सावधान रहने की ज़रूरत है।
— Mayawati (@Mayawati) September 10, 2022
अखिलेश यादव की बयानबाजी अक्सर अनर्गल व बचकानी
बसपा मुखिया ने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव अपनी इसी प्रकार की जनविरोधी कमियों को छिपाने के लिए दूसरों के खिलाफ अक्सर अनर्गल व बचकानी बयानबाजी आदि करके व करवाकर लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब तो लोगों व देश की अन्य विपक्षी पार्टियों को भी समाजवादी पार्टी से बेहद सावधान रहने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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