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उत्तर प्रदेश

जिंदा समझ कर डेढ़ साल से घर में रखी लाश, ऑक्सीजन देकर जीवित होने का करते थे दावा

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कानपुर। उप्र के कानपुर में रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां रावतपुर थाना क्षेत्र के कृष्णापुरी रोशन नगर में एक परिवार डेढ़ साल से आयकर अधिकारी विमलेश की लाश के साथ रह रहा था। शुक्रवार को इस बात की जानकारी लोगों को हुई तो सबके पांव तले से जमीन खिसक गई।

मामले की जानकारी तब हुई जब स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके घर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। 2021 अस्पताल प्रबंधन ने कोविड नियमों की अनदेखी करते हुए मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ विमलेश के शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया था। हालांकि, डेढ़ साल तक विमलेश के साथ परिवार के लोग कैसे रहे? ये बात किसी को समझ में नहीं आ रही है।

कोरोना काल में हुई मौत

कानपुर के रावतपुर थाना क्षेत्र में इनकम टैक्स चौराहा कृष्णपुरी में रहने वाले आयकर विभाग के कर्मचारी विमलेश दीक्षित की मौत कोरोना काल में 22 अप्रैल 2021 को हुई थी। तीन बेटों में सबसे छोटा बेटा विमलेश, अहमदाबाद में इनकम टैक्स में असिस्टेंट अकाउंटेंट ऑफिसर (एएओ) के पद पर था। इसकी उम्र साल थी।

2021 में हुई मौत के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित करके डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। घर आने के बाद परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे तभी मां राम दुलारी ने विमलेश के दिल की धड़कन आने की बात कहकर अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। तभी से माता-पिता उसके शव को घर के एक कमरे में रखकर देखभाल कर रहे थे।

गंगाजल डालकर जिंदा होने का दावा

घर पर पत्नी को भी उनके जिंदा होने का विश्वास दिलाया गया था और परिवार वाले उनके शव पर रोजाना गंगाजल डालकर जिंदा होने का दावा करते रहे थे। सीएमओ ने विमलेश की मौत की हकीकत का पता लगाने के लिए एक टीम का गठन किया था। डिप्टी सीएमओ डॉ.गौतम के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी। यह टीम शुक्रवार जब विमलेश के घर पहुंची तो परिजनों ने उन्हें घर के भीतर दाखिल होने से रोक दिया।

बाद में पुलिस की मौजूदगी में टीम घर के भीतर दाखिल हुई और उन्होंने विमलेश के शरीर को देखा, जिसके बाद पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। मृत शरीर की हालत बेहद खराब हो चुकी है और मांस हड्डियों में ही सूख गया है।

ऐसे हुआ खुलासा

एक सप्ताह पहले विमलेश की पत्नी मिताली ने अहमदाबाद स्थित इनकम टैक्स कार्यालय में पति के मरने की सूचना दी थी। विभाग को किए गए फोन पर उन्होंने कहा था कि उनके पति की मौत हो चुकी है, फिर भी माता-पिता उनका शव रखे हुए हैं।

इस पर विभाग की ओर से कानपुर के सीएमओ और जिलाधिकारी को एक पत्र लिख मामले की जांच करने को कहा गया। तभी शुक्रवार को एसीएमओ की तीन सदस्यीय टीम और पुलिस मामले की जांच करने पहुंची थी।

पड़ोसियों को नहीं हुआ शक

इस मामले की सूचना जब आसपास के क्षेत्र में फैली तो हड़कंप मच गया। मौके पर सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए। मृतक के पड़ोसियों ने बताया कि उन्हें विश्वास था कि विमलेश जिंदा हैं और कोमा में हैं। डेढ़ साल से रोजाना घर पर आक्सीजन सिलेंडर भी घर लेकर आया जाता था।

मृतक को रोजाना ऑक्सीजन दिया जाता। इसलिए कभी उन्हें उनकी मौत का शक नहीं हुआ। वही, विमलेश की पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं बताई गई है। स्वास्थ विभाग जल्द एक रिपोर्ट बनाकर आयकर विभाग को भेजेगा।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के प्रयासों से दिव्य, भव्य अयोध्या में फिर से लौटने लगा ‘राम राज्य’

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अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों से दिव्य और भव्य अयोध्या में एक बार फिर से रामराज्य लौटने लगा है। इसे भवगान श्रीराम की विशेष कृपा ही कहेंगे कि अयोध्या में ऑनलाइन की जाने वाली शिकायतों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण ढंग से निस्तारण हो रहा है। हर शिकायतों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जा रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय से आई एक अक्टूबर की रिपोर्ट बता रही है, जिसमें जिले के 19 में से 18 थाने प्रदेश में पहली रैंक पर आए हैं। इसमें कोतवाली नगर टॉप पर है।

जनपद पुलिस ने आईजीआरएस यानि एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली पोर्टल पर ऑनलाइन आने वाली जन शिकायतों के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण में पहली रैंक प्राप्त की है। पिछले कई महीनों बाद यह मौका आया है, जब अयोध्या पुलिस को यह सफलता मिली है। एसएसपी ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले थानेदारों को सराहते हुए फेहरिस्त में निचले पायदान पर मौजूद थाने को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया है। प्रदेश सरकार ने जनता की शिकायतों के निस्तारण के लिए आईजीआरएस पोर्टल की व्यवस्था तैयार की है। नियमानुसार, इस पोर्टल पर आने वाली ऑनलाइन शिकायत का 30 दिन के भीतर गुणवत्तापरक तरीके से निस्तारण करना होता है। समय समय पर इन शिकायतों से जुड़ा फीडबैक लखनऊ में बैठे आला अफसर लेते हैं। डिफाल्टर या असंतोष की स्थिति में शिकायतों को वापस लौटाया जाता है, ताकि उनका निस्तारण हो सके। जनपद में अक्टूबर माह में 19 थानों में तकरीबन 2700 शिकायतें आईजीआरएस पर हुई हैं। 100 फीसदी शिकायतों का निस्तारण हो चुका है।

नगर कोतवाली नंबर वन

एसपी ग्रामीण बलवंत चौधरी ने बताया कि आईजीआरएस के पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण के मामले में कोतवाली नगर ने बाजी मारी है। इसके बाद सर्वाधिक शिकायतों को हल कर दूसरे नम्बर पर स्थान बनाने वाला थाना इनायतनगर है। बताया जाता है कि पुलिस में आई सभी ऑनलाइन शिकायतों के निस्तारण के लिए एक दारोगा मौके पर अवश्य जाता है। वहां से जीपीएस की तस्वीरें आती हैं, जिससे पता चलता है मामले को निपटाने में पुलिस दिलचस्पी दिखाती है।

रैंक वार थाना – प्राप्त शिकायतें व निस्तारण

1- कोतवाली नगर- 354
2- इनायतनगर- 297
3- अयोध्या कोतवाली- 272
4- कोतवाली बीकापुर- 243
5- महराजगंज- 241
6- रौनाही- 227
7- रुदौली- 209
8- गोसाईगंज- 160
9- तारुन- 156
10- खंडासा- 140
11- हैदरगंज- 133
12- कैंट- 112
13- कुमारगंज- 89
14- रामजन्मभूमि- 85
15- पटरंगा- 66
16- बाबा बाजार- 61
17- मवई- 59
18- थाना महिला- 48
19- पूराकलंदर- 324

नोट- थाना पूराकलंदर ने ऑनलाइन शिकायत पत्र देखने में देरी लगाई। इस कारण उसकी रैंक बहुत गिर गई है।

क्‍या है आइजीआरएस

एसएसपी राजकरण नैयर ने बताया कि आईजीआरएस जनसुनवाई के लिये एक आनलाइन माध्यम है। इस माध्यम से किसी भी व्यक्ति को शिकायत करने के लिये कहीं चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है‌। पीड़ित व्यक्ति इसके पोर्टल पर आनलाइन शिकयत दर्ज कराता है। संबंधित विभाग उसकी जांच कराकर निस्तारण कराने का प्रयास करता है। इस माध्यम से दर्ज कराई गई शिकायत पर जवाबदेही भी रहती है। शिकायत की हर स्थित से शिकायतकर्ता को जानकारी भी मिलती है।

प्रत्‍येक माह होती है शासन स्‍तर पर समीक्षा

आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि जनसुनवाई के इस पोर्टल पर दर्ज कराई गई शिकायतों के निस्तारण की प्रत्येक माह शासन स्तर पर समीक्षा होती है। आईजीआरएस पर दर्ज कराई गई शिकायतों के निस्तारण का फीडबैक लेते हुए शासन के मानकों के हिसाब से पीड़ित संतुष्ट है या असंतुष्ट, इसकी समीक्षा करके रैंक जारी की जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी अयोध्या के सभी थाने हमेशा अग्रणी रहें।

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