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गुजरात फतह के बाद मप्र और छग पर बीजेपी का फोकस, गिना रही अपने काम

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भोपाल/रायपुर। भाजपा के बारे में विरोधी भी यही कहते हैं कि वह हर वक़्त चुनावी मोड में रहती है, उसके कार्यकर्ता एक चुनाव से निकलते हैं और दूसरे में जुट जाते हैं। इसी करा में अब भारतीय जनता पार्टी अगले साल होने वाले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गई है।

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वैसे अन्य पार्टियों खासकर कांग्रेस की नजर भी इन दोनों राज्यों पर है और इसके लिए आदिवासियों को साधने की रणनीति पर काम हो रहा है। दोनों राज्यों में सत्ता की चाबी कमोबेश आदिवासियों के पास ही होती है। इसलिए सत्ता की दो प्रमुख दावेदार- बीजेपी और कांग्रेस, उन्हें अपने पाले में करने के लिए अभी से हरसंभव कोशिश कर रही हैं।

राज्य सरकारें तो आदिवासियों के हित में अपनी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में लगी ही हुई हैं, केंद्र सरकार भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहती। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि उनकी सरकार आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार की योजनाओं का मकसद सबका साथ सबका विकास है और इसमें आदिवासी समुदायों की अहम भूमिका है।

बीजेपी गिना रही अपने काम

आज बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधान ने बीजेपी सरकार में आदिवासियों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने आदिवासी मामलों के लिए अलग विभाग का गठन किया ताकि उनकी समस्याओं को बेहतर तरीके से समझा जा सके। प्रधान ने यह भी बताया कि पिछले आठ साल में आदिवासियों के लिए केंद्रीय योजनाओं के लिए आवंटित रकम में भी करीब पांच गुना वृद्धि हुई है।

कांग्रेस सरकार के मुकाबले पांच गुना ज्यादा खर्च

प्रधान ने दावा किया कि 2014-15 में आदिवासी मामलों के लिए आवंटित राशि 19437 करोड़ रुपये थी जो 2022-23 में बढ़कर 91 हजार करोड़ हो गई। उन्होंने एकलव्य विद्यालय योजना की भी चर्चा की और कहा कि केंद्र सरकार हर स्कूल पर औसतन 40 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। केवल इस योजना पर सरकार करीब 29 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।

उन्होंने बताया कि एकलव्य विद्यालयों का एकमात्र मकसद आदिवासी समुदायों में शिक्षा का विस्तार करना है जिससे वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

…ताकि जॉब गिवर बन सकें आदिवासी युवक

बीजेपी सरकार आदिवासियों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए भी लगातार नई योजनाओं पर काम कर रही है। बंधन विकास योजना, स्फूर्ति योजना, स्टैंट अप स्कीम आदि के जरिए उन्हें रोजगार और स्वरोजगार के मौके उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सरकार का मकसद है कि आदिवासी युवा केवल जॉब सीकर न रहें, बल्कि जॉब गिवर भी बनें।

2018 में पिछड़ी, अब नहीं लेना चाहती जोखिम

गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सबसे महत्वपूर्ण राज्य हैं। इसका कारण यह है कि 2018 के विधानसभा चुनावों में इन दोनों राज्यों में बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।

विधायकों के दलबदल के चलते मप्र में तो उसकी सत्ता में वापसी हो गई, लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल मजबूती से जमे हुए हैं। दोनों राज्यों में बीजेपी के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण यही था कि उसे आदिवासियों का समर्थन नहीं मिला था। पार्टी इस बार यह जोखिम नहीं लेना चाहती और पहले से ही अपनी तैयारियों को फुलप्रूफ बनाने में लग गई है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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