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बिजनेस

रूस के कच्चा तेल खरीदने का फायदा, पेट्रो उत्पादों का सबसे बड़ा सप्लायर बना भारत

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Benefit of buying Russian crude oil

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नई दिल्ली। रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीदने का फायदा अब भारत को मिल रहा है, जिसके चलते भारत, यूरोप में रिफाइंड पेट्रोल उत्पादों का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है। एनालिटिक्स फर्म Kpler के डाटा से यह खुलासा हुआ है।

बता दें कि भारत के रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों पर यूरोप की निर्भरता, रूसी तेल पर प्रतिबंध के बाद बढ़ी है। जहां यूरोप, भारत के पेट्रोलियम उत्पादों का सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है, वहीं दूसरी तरफ भारत, रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है। इस तरह प्रतिबंधों के बावजूद रूस को इसका फायदा मिल रहा है।

रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा भारत

यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं। जिसकी वजह से वह रूस का कच्चा तेल नहीं खरीद रहे हैं। वहीं यूरोप की मार्केट के बंद होने के बाद रूस उसके कच्चे तेल की खरीद पर भारी छूट दे रहा है।

यही वजह है कि भारत रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। आकंड़ों के मुताबिक भारत फिलहाल रूस से 3,60,000 बैरल तेल की रोजाना खरीद कर रहा है। रूस के अलावा भारत सऊदी अरब और इराक से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीद रहा है।

फरवरी में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया था। फरवरी में भारत ने रूस से 3.35 बिलियन यूएस डॉलर का कच्चा तेल खरीदा और सऊदी अरब से 2.30 बिलियन यूएस डॉलर का। फिलहाल भारत अपनी जरूरत का 44 प्रतिशत तेल रूस से खरीद रहा है।

यूरोप को हो रहा नुकसान

प्रतिबंधों के चलते यूरोपीय यूनियन के देश रूस से सस्ता कच्चा तेल नहीं खरीद पा रहे हैं। एक तरफ तो वह महंगाई से जूझ रहे हैं, दूसरा उन्हें रिफाइंड पेट्रोल उत्पाद आयात करने पड़ रहे हैं। यूरोप में कई रिफाइनरी हैं लेकिन फिलहाल कच्चे तेल की कमी के चलते उन्हें अपना उत्पादन बंद करना पड़ा है।

वहीं भारत में भी कई सरकारी और निजी रिफाइनरी कंपनियां हैं, जो कच्चे तेल को रिफाइंड करके अपने रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों को यूरोप के बाजार में सप्लाई कर रही हैं।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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