उत्तर प्रदेश
विविधता, समावेशन व पारस्परिक सम्मान पर सिविल सोसाइटी C 20 ने किया विमर्श का आयोजन
![Civil society C 20](https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2023/07/Civil-society-C-20.jpg)
लखनऊ। G20 के अंतर्गत C 20 (सिविल सोसाइटी) कार्यक्रम समाज कल्याण विभाग उप्र और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में “विविधता, समावेशन और पारस्परिक सम्मान” विषयक C 20 विमर्श का आयोजन भागीदारी भवन गोमती नगर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन और ईश वंदना से और समापन शांति मन्त्रों द्वारा हुआ ।
विमर्श के मुख्य वक्ताओं के रूप में उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण जी और मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन विवेकानंद केंद्र लखनऊ नगर प्रमुख दीप नारायण पांडेय ने किया तथा धन्यवाद् ज्ञापन विवेकानंद केंद्र के प्रांत संचालक दयानंद लाल ने किया।
विवेकानंद केंद्र की प्रांत प्रमुख प्रो. शीला मिश्रा ने सी 20 की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सी 20 विमर्श का उद्देश्य नागरिक समाज और संगठनों के बीच नीतिगत चर्चाओं को सुविधाजनक बनाना और जी20 सरकारों के बीच नीतिगत चर्चाओं को बढ़ावा देना है। सी 20 (सिविल सोसाइटी) यह एक स्वायत्त मंच के रूप में कार्य करता है C20 में विवेकानन्द केन्द्र अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
सी 20 के माध्यम से विश्व को वननेस का सन्देश दिया जा रहा है। मां अमृतामयी ने बताया था कि अब समय सिंगल का नही मिंगल का है सी 20 के माध्यम से भारत पूरे विश्व को विश्व कल्याण के लिए आध्यात्मिकता का सशक्त संदेश दे रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि सिविल सोसाइटी 20 या सी20, जी20 फोरम के आठ आधिकारिक भागीदारी समूहों में से एक है। C20 का लक्ष्य दुनिया भर के नागरिक समाज संगठनों के दृष्टिकोण को G20 राष्ट्राध्यक्षों के सामने लाना है। G20 की अगुवाई में, C20 विभिन्न देशों के 800 से अधिक नागरिक समाजों, प्रतिनिधियों और नेटवर्क को शामिल करता है, जिसमें उन देशों के संगठन भी शामिल हैं जो G20 के सदस्य नहीं हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि G20 नेताओं में “समाज के सभी वर्गों के लोगों” की बात सुनी जाए।
विवेकानंद केंद्र की नगर सह संचालिका डॉ सुषमा मिश्रा ने केंद्र का परिचय देते हुए बताया कि वेकानन्द केन्द्र- आध्यात्मिक रूप से उन्मुख एक सेवा मिशन है,माननीय एकनाथजी रानाडे ने 1972 में स्वामी विवेकानन्द के जीवंत स्मारक के रूप में एक आध्यात्मिक रूप से उन्मुख सेवा मिशन विवेकानन्द केन्द्र की शुरुआत की, जिसमें समर्पित जीवनव्रती, सेवाव्रती, वानप्रस्थी और हजारों स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ-साथ लाखों संरक्षक,शुभचिंतक और प्रकाशन के सदस्य भी शामिल थे।
विवेकानन्द केन्द्र इस महान विचार पर केंद्रित है कि मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की पूजा है- और यह राष्ट्रीय आदर्श त्याग और सेवा द्वारा निर्देशित है। स्वामी जी दरिद्र नारायण की सेवा को अधिक महत्व देते थे। यह भारत का राष्ट्रीय तीर्थ है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र पुनर्निमाण की संकल्पना स्वामी जी प्रमुख संदेशों में से एक है।
स्वामी विवेकानन्द के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए समाज के सभी स्तरों (चरणों) के लिए काम करने के लिए केंद्र की भारत भर में 850 से अधिक शाखाएँ और गतिविधि केंद्र हैं।
इसे प्राप्त करने के लिए विवेकानन्द केन्द्र योग, स्वाध्याय वर्ग (अध्ययन मण्डल), संस्कार वर्ग, ग्रामीण विकास, शिक्षा, प्राकृतिक संसाधनों का विकास, युवाओं और महिलाओं को संगठित करना तथा स्वामी विवेकानन्द के जीवन और सन्देश, संस्कृति, वैदिक अध्ययन. पर आधारित प्रकाशनों के माध्यम से विभिन्न सेवा गतिविधियाँ चला रहा है। केंद्र सभी से राष्ट्रीय उत्थान के इस पुनीत कार्य में शामिल होने का आह्वान करता है।
समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने अपने उद्बोधन में कहा कि डायवर्सिटी, इंक्लूजन और म्युचुअल रिस्पेक्ट विषय बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन यदि इसे सरल भाषा मे कहें तो मोदी जी द्वारा दिया नारा सटीक बैठता है वो हैसबका साथ सबका विकास जो भी कार्य किए जाने हैं वो एक सिस्टम के तहत होने चाहिए। जो भी भाई बहन हमसे पीछे छूट गए हैं उन्हें आगे लाना है।
अर्थ व्यवस्था के बारे में बताते हुए कहा कि एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी हम प्राप्त कर लेंगे लेकिन सामाजिक समानता लाने के लिए हमे अलग से काम करना होगा सिविल 20 का रोल इसमें और बढ़ जाता है।
स्वामी विवेकानंद की एक किताब का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी जी को हम भगवान का अवतार न मानें यह बात स्वयं एकनाथ रानाडे ने कही है। समाज कल्याण विभाग से ज्यादा समाज स्वयं अपना कल्याण कर रहा है, उन्होने आगे कहा कि विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा लखनऊ राष्ट्र के लिए अच्छा कार्य कर रहा है। हम और हमारा विभाग ऐसे कार्यों के लिए सदैव आपके साथ हैं।
मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने आज के सी 20 विमर्श अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विवेकानंद केंद्र की सराहना करते हुए कहा यह एक ऐतिहासिक क्षण है कि मोदी जी के नेतृत्व में देश जी 20 की मेज़बानी कर रहा है उसी के अन्तर्गत आज सी 20 विमर्श में सहभागिता करने का सुअवसर मिला।
भिक्षा वृत्ति मे लगे बच्चों, समाज के अन्तिम पायदान पर जीवन यापन कर रहे बच्चों को आगे लाने के लिए विवेकानंद केंद्र का आवाहन किया। परिवारों में आजकल बिखराव हो रहा है यह चिंतनीय स्थिति है परिवारों को जोड़ने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए विवेकानंद केंद्र से इसपर भी जुड़ने का आवाहन किया। पर्यावरण संरक्षण और पौध रोपण को बढ़ावा देने के लिए अपील की।
आज के विमर्श कार्यक्रम में अपने अपने क्षेत्रों में नेतृत्व कर रहे शहर के गणमान्य और प्रबुद्ध लोगों, महिलाओं और युवाओं की गरिमामयी उपस्थिति रही। इनमे से कुछ प्रमुख नाम प्रो. कीर्ति नारायण, पायसम के नवल पन्त, नेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन की अमिता दुबे, स्पार्क इंडिया के अमिताभ मेहरोत्रा, केडी सिंह, अतुल कुमार, प्रमिल द्विवेदी, दुर्गेश मिश्रा, शोभिता टंडन, प्रो संगीता, प्रो.एस.पी. त्रिपाठी, प्रमोद सक्सेना, अखिलेश सिंह,प्रवीन द्विवेदी, पी.एन.बालिया, अविरल बाजपेई, जी.पी. त्रिपाठी, रंजन यादव, डॉ. अनिल मिश्र सहित विवेकानंद केंद के लोग भारी संख्या में उपस्थित रहे।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी ने कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन से संबंधित जलवायु सम्मेलन का किया शुभारंभ
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रयागराज महाकुम्भ में कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन विषयक जलवायु सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य ही केवल इस सृष्टि का एकमात्र जीव नहीं है। जीव जंतुओं का जीवन चक्र मनुष्य के साथ और मनुष्य का जीवन चक्र उनके साथ जुड़ा हुआ है। उनका अस्तित्व रहेगा तो हमारा भी अस्तित्व रहेगा और यदि उन पर संकट आएगा तो हमारे अस्तित्व पर भी संकट आएगा। उन्होंने कहा कि हम प्रलय की प्रतीक्षा ना करें, बल्कि अभी से धरती को हरा भरा बनाएं। कुम्भ का भी यही संदेश है। हम सबको आस्था के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारकों पर भी विचार करते हुए उसके निवारण का उपाय करना होगा। उन्होंने कहा कि जीव सृष्टि और जंतु सृष्टि के संरक्षण के साथ ही मानव सृष्टि की सुरक्षा और संरक्षण हो पाएगा। इस दौरान सीएम योगी ने दिल्ली में हुई घटना पर अफसोस जताते हुए सभी पुण्य आत्माओं के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
श्रद्धालु पार्किंग में खड़े करें वाहन
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में जब जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं तो एक-दूसरे पर दोषारोपण होने लगता है। यही स्थिति महाकुम्भ में भी देखने को मिल रही है. एरियल सर्वे में देख रहा था कि पार्किंग की जगह खाली है, लेकिन हर व्यक्ति सड़क पर अपनी गाड़ी खड़ी करके संगम स्नान को जा रहा है। अगर वही व्यक्ति पार्किंग के स्थान पर अपना वाहन पार्क करे तो हो सकता है कि उसे 100 मीटर ज्यादा पैदल चलना पड़े, लेकिन सड़क पर कहीं जाम नहीं होगा और आसानी से वह संगम में स्नान कर सकेगा। उन्होंने कहा कि इस जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए हम सब कहां भागीदार हैं, इसके बारे में चिंतन करना और उसे अपने व्यवहारिक जीवन में उतारना, यह सचमुच महाकुम्भ का हिस्सा बनना चाहिए। इसे हर किसी को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन के कारण सूख रहीं नदियां
सीएम योगी ने कहा कि 13 जनवरी से लेकर 16 फरवरी के बीच 52 करोड़ श्रद्धालु मां गंगा, यमुना और मां सरस्वती की इस पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। 52 करोड़ लोग तब यहां डुबकी लगा पा रहे हैं, जब मां गंगा, यमुना और मां सरस्वती की कृपा से यहां अविरल जल उन्हें मिल पा रहा है। जो भी यहां डुबकी लगा रहा है उसे आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव मिल रहा है। इस अनुभव को जब वह अपने गांव में और आसपास के क्षेत्र में साझा कर रहा है, तभी वहां से बड़े पैमाने पर श्रद्धालु यहां आकर इस पूरे आयोजन को सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको सोचना होगा की कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण के प्रदूषण का कारण जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन का ही कारण है कि धरती माता की धमनियों के रूप में जिन नदियों को अविरल बहना चाहिए था वह सूखती जा रही हैं। अनुमान कीजिए, अगर शरीर की रक्त धमनियां सूख गई तो शरीर की स्थिति क्या होगी। अगर धरती माता की धमनियां सूख गईं या प्रदूषित हो गई तो जिन धमनियों से रक्त का प्रवाह होना चाहिए उसकी क्या स्थिति होगी।
मर चुकी नदियों को पुनर्जीवित किया जा रहा
सीएम योगी ने कहा कि धरती माता के साथ खिलवाड़ न हो, इसको ध्यान में रखते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया गया है। उत्तर प्रदेश में पिछले 8 वर्षों के अंदर हमारी सरकार ने 210 करोड़ वृक्षारोपण किया है। वन विभाग के द्वारा जो वृक्ष लगाए गए हैं उसमें 70 से लेकर 80 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। वहीं विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से जो वृक्षारोपण हुआ है उसमें भी 60 से 70 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। डीजल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों को प्राथमिकता दी गई है। इसके लिए पॉलिसी बनाई और अनेक कार्यक्रम बढ़ाए गए हैं। मर चुकी नदियों को फिर से पुनर्जीवित करने का काम किया। आज जो संगम में इतना पावन स्नान एक साथ एक दिन में करोड़ों लोग कर पा रहे हैं। जितनी भीड़ कभी मौनी अमावस्या को जुटती थी उतनी भीड़ हर दिन हो रही है। नदियों को चैनेलाइज किया गया। संगम क्षेत्र का दायरा बढ़ाया गया। संगम में हर समय 10 हजार से 11 हजार क्यूसेक जल हमेशा मौजूद रहे इसको सुनिश्चित किया गया।
जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए जनभागीदारी आवश्यक
सीएम योगी ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है, लेकिन हमारा भी प्रयास होना चाहिए कि हम भी इसमें कैसे भागीदार बन सकते हैं। दैनिक जीवन में प्लास्टिक का उपयोग करना क्या हम रोक पाएंगे, क्या नदियों पर कब्जा करना और प्रदूषण करने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण कर पाएंगे, वन्य जीवों के प्रति क्या हमारे मन में भी संवेदना जागृत होगी, क्योंकि जैसे हमारा जीवन चक्र है ऐसे ही धरती माता का भी अपना एक जीवन चक्र है। हम दोनों को एक साथ जोड़ करके देखेंगे तब यह सृष्टि रहेगी। एक पेड़ मां के नाम, एक पेड़ आस्था के नाम लगाने के क्रम में हम भी सहभागी बन सकें।
इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, परमार्थ आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि, जगद्गुरु स्वामी मुकुंदानंद, वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना एवं राज्य मंत्री केपी मलिक समेत विधायक व अधिकारी उपस्थित रहे।
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