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उत्तर प्रदेश

योगी मंत्रिमंडल का होने वाला है विस्तार? सीएम और राज्यपाल की मुलाकात के बाद सुगबुगाहट

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Yogi Adityanath Anandi Ben Patel Meeting

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लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारतीय जनता पार्टी कितनी गंभीर है और किस स्तर पर तैयारी कर रही है, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है को सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पार्टी ने अपनी योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसी के तहत बीजेपी ने पहले तो जिला स्तर पर बड़ा फेरबदल किया है। अब निगाहें योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही योगी सरकार 2.0 का विस्तार हो सकता है।

बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में हाल ही में बीजेपी के साथ आए सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही सपा छोड़कर घर वापसी करने वाले दारा सिंह चौहान को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चाएं जोरों पर है। दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल शनिवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की है। सीएम योगी के राज्यपाल से हुई इस मुलाकात के बाद से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने तूल पकड़ लिया है।

हालांकि, सीएम ऑफिस की ओर से सीएम योगी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से हुई मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया गया है लेकिन सूत्रों का दावा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार पर भी चर्चा हुई।

यह दावा भी किया जा रहा है बीजेपी आलाकमान सभी राजनीतिक और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए आगमी लोकसभा चुनाव के लिहाज से मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी व सहयोगी दलों के नेताओं को जगह देने जा रही है। हाल ही में हुए घोसी उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान की हार के बाद से बीजेपी की रणनीति पर पानी फिर गया है।

माना जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिल सकती है। हालांकि ओपी राजभर अपने लिट्मस टेस्ट में खरे नहीं उतर पाए हैं। सुभासपा मुखिया ओपी राजभर ने घोसी उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के 50 हजार वोटों के अंतर से जीत का दावा किया था, लेकिन दारा सिंह चौहान 42 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हारे।

इसके बावजूद ओपी राजभर योगी सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। बीजेपी भी उपचुनाव के नतीजों को नजरअंदाज कर लोकसभा चुनाव को देखते हुए सुभासपा मुखिया ओपी राजभर को मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है।

चर्चा यह भी है कि योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में दारा सिंह चौहान को भी शामिल कर सकती है। दारा सिंह चौहान 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर सपा में चले गए थे। वो घोसी सीट से विधायक चुने गए थे लेकिन हाल ही में दारा सिंह ने सपा छोड़कर घर वापसी कर ली थी।

घोसी उपचुनाव में सपा के सुधाकर सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को बड़े अंतर से हरा दिया है लेकिन दावे के अनुसार दारा सिंह चौहान को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इसके साथ ही दारा सिंह चौहान को पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा के इस्तीफे के बाद खाली हुई विधान परिषद की सीट से एमएलसी बनाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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