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अन्तर्राष्ट्रीय

इस्राइल हमास के बीच फिर से युद्धविराम कराने की कोशिशें तेज, फ्रांस के राष्ट्रपति कतर रवाना

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दुबई। इस्राइल और हमास के बीच एक और युद्धविराम कराने की कोशिशें तेज हो गई हैं। शनिवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने कहा कि वह गाजा में फिर से हिंसा शुरू होने को लेकर चिंतित हैं। मैक्रां ने ये भी कहा कि वह कतर जा रहे हैं ताकि इस्राइल हमास के बीच एक और युद्धविराम कराया जा सके। बता दें कि इस्राइल हमास के बीच हुआ युद्धविराम शुक्रवार को खत्म हो गया, जिसके बाद हिंसा का दौर फिर शुरू हो गया है।

हमास का सफाया होने में 10 साल लग सकते हैं

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां COP28 सम्मेलन में हिस्सा लेने दुबई पहुंचे हुए थे। इस दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इस्राइल और हमास के बीच एक और युद्धविराम कराने की कोशिशें शुरू करने की बात कही। मैक्रां ने कहा कि ‘हम उस स्थिति में आ गए हैं, जब इस्राइल की सरकार को बेहद सटीकता से अपने उद्देश्य तय करने की जरूरत है। हमास का पूरी तरह से सफाया क्या हो सकता है? अगर ऐसा होगा तो इसमें 10 साल तक लग सकते हैं।’

मैक्रां ने कहा कि ‘इस्राइल में फलस्तीनी लोगों की जिंदगी की कीमत पर शांति नहीं आ सकती। इसे लेकर स्पष्टवादी होने की जरूरत है।’ फ्रांसीसी राष्ट्रपति के बयान पर इस्राइली पीएम के सलाहकार मार्क रीगव ने कहा कि ‘इस्राइल भी नहीं चाहता कि लड़ाई होने पर गोलीबारी में गाजा में आम नागरिकों की मौत हो। इस्राइल हमास को निशाना बना रहा है, जिसने मासूम नागरिकों का नरसंहार किया। इस्राइल गाजा में आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।’

युद्धविराम की समाप्ति के बाद गाजा में फिर शुरू हुई हिंसा

बता दें कि इस्राइल हमास के बीच हुए पहला युद्धविराम 24 नवंबर से शुरू होकर करीब एक हफ्ते तक चला। इस दौरान दोनों तरफ से बंधकों को रिहा किया गया। यह युद्धविराम शुक्रवार को खत्म हो गया, जिसके बाद फिर से हिंसा का दौर शुरू हो गया है, जिस पर दुनियाभर के देशों ने चिंता जाहिर की है।

अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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