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उत्तर प्रदेश

धीरज साहू को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा पर साधा निशाना, कहा- नोटबंदी जैसी योजना फर्जी निकली

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Akhilesh Yadav said

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मैनपुरी (उप्र)/रांची। कांग्रेस सांसद धीरज साहू के यहां छापेमारी में 351 करोड़ कैश बरामद होने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधा है। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को शर्मिंदा होना चाहिए और देश के सामने माफी मांगनी चाहिए कि उनकी नोटबंदी जैसी योजना फर्जी निकली।

अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमलावर होते हुए कहा कि एक साहू(कांग्रेस सांसद धीरज साहू) नहीं, इस तरह के न जाने कितने घरों में पैसा होगा।

नोटबंद पर अखिलेश यादव ने क्या कुछ कहा

सपा प्रमुख ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि सरकार अगर कह रही है कि किसी घर में ढाई सौ करोड़ से ज्यादा पैसा मिला है तो सरकार ये भी बताए कि जो दो हजार रुपये छापे थे किन बैकों में, किस जिले में और किस राज्य में सबसे ज्यादा जमा हुए हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने नोटबंदी जैसा फैसला लाई हो और कह रही हो कि इसके बाद कालाधन, आतंकवाद खत्म हो जाएगा तो बताइए किसी व्यक्ति के घर पर इतना पैसा कैसे निकल रहा है।

हम भाजपा को 2022 का वो दिन याद दिलवाना चाहते हैं जब एक इत्र व्यापारी के घर से भी 200 करोड़ से ज्यादा रुपये निकला था। उस समय इनके लोगों ने अपने संसाधनों का उपयोग करके ये प्रचार करवाया था कि समाजवादियों का पैसा है तो अब तो चुनाव आ गया है अब तो आधा भी समाजवादियों के पास भेजवा दो।

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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