बिजनेस
रिलायंस और एनविडिया का आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के लिए हुआ करार
मुंबई| आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र की ग्लोबल कंपनी एनविडिया के प्रमुख जेनसेंग हुआंग और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने घोषणा की है कि दोनों कंपनियों ने भारत में एआई लाने के लिए एक करार किया है। दोनों ने ये घोषणा मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में की जहाँ (23 से 25 अक्तूबर तक) ‘एनविडिया समिट इंडिया’ कार्यक्रम चल रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि जियो (Jio) अब दुनिया की सबसे बड़ी डेटा कंपनी बन चुकी है। Nvidia के फाउंडर और सीईओ जेनसन हुआंग ने ऐलान किया रिलायंस और Nvidia मिलकर भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं। यह साझेदारी भारत को AI के क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी।
भारत में जेनसेंग हुआंग का स्वागत करते हुए मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत के बड़े सपनों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के चलते भारत आज डिजिटल क्रांति के नए युग में प्रवेश कर रहा है। Nvidia के फाउंडर और सीईओ जेन्सन हुआंग ने भारत को डीप टेक्नोलॉजी हब बनाने में मुकेश अंबानी के प्रयासों की सराहना की। हुआंग ने भारत के IT क्षेत्र की क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा, “दुनिया में बहुत कम देश हैं जहाँ कंप्यूटर साइंस और आईटी के क्षेत्र में इतने सारे प्रशिक्षित लोग हैं।” जेनसन हुआंग ने कहा,”यह एक असाधारण समय है, जहां भारत के पास बड़ी संख्या में कंप्यूटर इंजीनियर और एक विशाल जनसंख्या है। मैं इस साझेदारी के लिए मुकेश अंबानी के साथ काम करने को लेकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।”
मुकेश अंबानी ने जेनसेंग से बातचीत में कहा कि हमें ये ध्यान रखना है कि न केवल आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का फ़ायदा हर भारतीय तक पहुँचे बल्कि ये भी कि ये किफ़ायती दामों में उपलब्ध हो। मुकेश अंबानी ने कहा कि हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि हमारे इसी फ़ोन और इसी कंप्यूटर पर एआई लोगों को मिल सके। इस नई तकनीक को लोगों तक आसानी से पहुँचाना हमारी ज़िम्मेदारी है और हमें मिलकर इसे पूरा करना होगा।
मुकेश अंबानी ने कहा कि AI एक ज्ञानक्रांति है जिससे वैश्विक समृद्धि का रास्ता खुलता है। उन्होंने कहा कि भारत में युवाओं की आबादी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने देश को डिजिटल समाज में परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंबानी ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। भारत तेजी से दुनिया का इनोवेशन हब बनता जा रहा है और हमारे पास दुनिया में सबसे अच्छा डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर है।
उन्होंने कहा कि रिलायंस जियो विश्वस्तर पर सबसे बड़ी डेटा कंपनी है। उन्होंने बताया कि यह 15 सेंट प्रति जीबी की कम लागत पर डेटा प्रदान करती है, जबकि अमेरिका में यह पांच डॉलर प्रति जीबी है। उन्होंने कहा कि जैसा जियो ने डेटा में किया वैसी ही क्रांति अब आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में लाने की ज़रूरत है।
नेशनल
गणतंत्र दिवस स्पेशलः तीन भारतीय बिजनेसमैन जिन्होंने अपने अंदाज में लिया अंग्रेजों से बदला
नई दिल्ली। देश आज यानि 26 जनवरी को 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर आज हम आपको उन तीन भारतीय बिजनेसमैन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने सही मायनों में अंग्रेजों से गुलामी का बदला लिया है। आईए जानते हैं कौन हैं वो 3 भारतीय बिजनेसमैन…
रतन टाटा
बात 1999 की है, जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा और उनकी टीम को विदेश में ‘अपमान’ का सहना पड़ा था। यह घटना तब की है जब रतन अपने ऑटो बिजनेस को बेचने के लिए फोर्ड के पास गए थे तब वहां टाटा की बहुत बेइज्जती की गई। लेकिन 9 साल बाद वक्त ने ऐसी करवट बदली की टाटा ने अमेरिका की मशहूर कंपनियों में से एक जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। टाटा के JLR को खरीदने के बाद उस समय फोर्ड के चेयरमैन बिल बोर्ड ने टाटा को धन्यवाद दिया और कहा कि जेएलआर को खरीदकर आपने हम पर बड़ा अहसान किया है। काडले के मुताबिक, उनकी इस बात पर खूब तालियां बजी थी।
रूबेन सिंह
लंदन में एक सिख अरबपति ने अंग्रेजों जिस अंदाज में बदला लिया वह बहुत ही अनोखा है। दरअसल, AlldayPA के सीईओ रूबेन सिंह की पगड़ी को एक अंग्रेज ने बैंडेज बता दिया जिसके बाद रूबने ने अपने अंदाज में उस अंग्रेज से बदला लिया।
रूबेन ने ट्विटर पर लिखा, ‘हाल ही में किसी ने मेरी टर्बन को ‘बैंडेज’ कहा। टर्बन मेरा ताज है और मेरा गर्व। उन्होंने अंग्रेज को चैलेंज किया कि वह अपनी टर्बन को अपनी रॉल्स रॉयस कारों के साथ मैच करेंगे और वो ही पूरे हफ्ते। अंग्रेज ने शर्त लगाई थी कि रूबेन सिंह अपनी टर्बन को अपनी कार के रंग के समान सात दिनों तक नहीं रखते। लेकिन रूबेन ने अंग्रेज को अपने अंदाज में करार जवाब दिया।
अलवर के राजा जय सिंह
अलवर के राजा ने रॉल्स राय कंपनी की ओर से बेज्जती का बदला एक दिलचस्प तरीके से लिया था। उन्होंने कंपनी की महंगी गाड़ियों से नगरपालिका को सौंप कर उससे कचरा उठवाया था।
जब यह बात पूरे विश्व में फैली की विश्व की नं. 1 कार रोल्स रॉयस की साख मिट्टी में मिल गई। इसके चलते कंपनी ने भारत में राजा को टेलीग्राम में माफी लिखकर भेजी और विनती की कि रोयस रॉयल कार से कचरा न उठवाएं यही नहीं, कंपनी ने राजा को 6 कारें भेंट स्वरूप फ्री में भेजीं।
जब राजा जयसिंह को यह पता लगा कि रोल्स रॉयस वालों को उनकी गलती का सबक मिल चुका है तब जाकर राजा ने उन कारों से कचरा साफ करना बंद करवाया।
दरअसल, लंदन भ्रमण के दौरान अलवर के राजा जयसिंह साधारण कपड़ों में लंदन की बांड स्ट्रीट की घूम रहे थे। इसी बीच उनकी नजर रोल्स रॉयस कार के शोरूम पर पड़ी।
कार उन्हें देखने में आकर्षक लगी जिसके चलते कार की कीमत को पूछने के लिए वे शोरूम में घुस गए। राजा को अन्य भारतीयों की तरह मानते हुए शोरूम के सेल्समैन ने उन्हें बुरी तरह झिड़का और बेइज्जती करके उनको वहां से भगा दिया। जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने का फैसला किया।
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