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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं, इंटेलिजेंस बढाएं, माफिया के गुर्गों पर भी कार्रवाई तेज करें: मुख्यमंत्री योगी

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लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि महाकुंभ से पहले प्रयागराज में चल रहे सभी टैक्सी, ऑटो, ई-रिक्शा चालकों का पुलिस सत्यापन कराया जाए। यूपी पुलिस को इंटेलिजेंस को और बेहतर करने तथा भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों के साथ लगातार संवाद-समन्वय बनाये रखने के निर्देश देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के समय में प्रयागराज के आस-पास माफियाओं पर बड़ी कार्रवाई हुई है, यह सुनिश्चित किया जाए कि महाकुम्भ से पहले उनके गुर्गों पर आवश्यकतानुसार कार्रवाई तेज की जाए।

सोमवार को प्रयागराज में महाकुम्भ की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ‘सुरक्षित महाकुम्भ’ की परिकल्पना की है। इसके दृष्टिगत सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएं। सुरक्षा बलों की तैनाती के बारे में जानकारी लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक जिन 20 हजार पुलिसकार्मिकों की तैनाती हुई है, उन सभी का प्रशिक्षण जरूर करा लिया जाए। मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ में फायर सेफ्टी, घाट सुरक्षा, चिकित्सा सहायता आदि के संबंध में किये जा रहे व्यवस्थाओं को पुख्ता बनाने के भी निर्देश दिए। सुरक्षा के दृष्टिगत एंटी ड्रोन सिस्टम की उपलब्धता भी की जाए। प्रयागराज नगर में जाम के समाधान के लिए पुख्ता कार्ययोजना तैयार करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि फुट पेट्रोलिंग बढाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मेला क्षेत्र में निराश्रित पशुओं का आवागमन न हो।

समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ प्रयागराज की ओर आने वाले सभी मार्गों के नवनिर्माण/सुदृढ़ीकरण के कार्यों के लिए 05 जनवरी अंतिम तारीख तय की है। उन्होंने कहा है कि महाकुम्भ में सर्वाधिक श्रद्धालु सड़क मार्ग से होकर आएंगे। अयोध्या, वाराणसी, लखनऊ और मीरजापुर की ओर से बड़ी संख्या में लोगों का आगमन होगा। इसलिए शीर्ष प्राथमिकता के साथ प्रयागराज आने वाले सभी मार्गों के नवनिर्माण/सुदृढ़ीकरण के कार्यों को पूरा कर लिया जाए। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि इन मार्गों पर यदि कहीं भी अतिक्रमण किया गया हो, तो कठोरतापूर्वक कार्यवाही करते हुए उसे हटाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संतोषजनक है सेतु निगम के 14 में से 12 सेतुओं का कार्य पूर्ण हो गया है, शेष दो का कार्य 05 जनवरी तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि संगम नोज पर ड्रेजिंग के कार्य में और तेजी की अपेक्षा है। 30 दिसंबर तक यह कार्य पूरा कर लिया जाए। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि मेला क्षेत्र में जल आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाने के कार्य को प्रत्येक दशा में 30 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाए। हर सेक्टर में 24×7 शुद्ध जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सड़कों की मरम्मत, डिवाइडर की साज-सज्जा आदि का कार्य इसी माह के अंत तक पूरा कर लें। अब तक 22 पांटून पुल क्रियाशील हो गए हैं, शेष को भी एक सप्ताह में तैयार करा लिया जाए। मुख्यमंत्री के इस एक दिवसीय दौरे के साथ ही प्रयागराज नगर में सूबेदारगंज सेतु पर एक तरफ से आवागमन भी प्रारंभ हो गया। पुल का निरीक्षण करते हुए मुख्यमंत्री का काफिला सिविल एयरपोर्ट के लिए प्रस्थान किया। तय समय-सीमा के अनुसार, पुल की एक लेन को 31 दिसंबर और दूसरी लेन को मकर संक्रांति से पहले पूरा किया जाना था। लेकिन, यह काम एक सप्ताह पहले ही पूरा कर दिया गया। सुबेदारगंज पुल के निर्माण में 350 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए हैं।

जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आइसीसीसी सभागार में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अखाड़ों, धार्मिक संस्थाओं और साधु-संतों को भूमि आवंटन की अद्यतन स्थिति के बारे में भी जानकारी ली। मेलाधिकारी ने बताया कि सभी अखाड़ों को भूमि आवंटित कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमानुसार सभी को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विभिन्न राज्यों की ओर से महाकुम्भ में अपने शिविर स्थापित करने के अनुरोध मिल रहे हैं, इस संबंध में यथोचित निर्णय तत्काल हो जाए। नई संस्थाओं को आवंटन करने से पूर्व उनका सत्यापन भी कराया जाए।

उन्होंने कहा कि महाकुम्भ विश्व को सनातन भारतीय संस्कृति से साक्षात्कार कराने का सुअवसर है। यह स्वच्छता, सुरक्षा और सुविधा का मानक भी होगा। बैठक में ‘स्वच्छ महाकुम्भ’ की अवधारणा पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों को प्रयागराज की स्वच्छता के लिए आगे बढ़कर काम करने के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि महाकुम्भ को देखते हुए 7000 से अधिक बसें लगाई जाएंगी। यहां डेढ़ लाख से अधिक शौचालय स्थापित किए जाएंगे। स्वच्छता पर जोर देते हुए सीएम ने निर्देश दिया कि 10 हजार कर्मचारियों की तैनाती कर यहां की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखा जाए।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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