उत्तर प्रदेश
योगी सरकार की प्रयागराज महाकुम्भ की तैयारियां अन्य प्रदेशों के लिए बन रही नजीर
महाकुम्भ नगर। योगी सरकार की प्रयागराज महाकुम्भ की महा तैयारियां अन्य प्रदेशों के लिए नज़ीर बन रही हैं। उज्जैन में 2028 में लगने वाले कुम्भ की तैयारियों के लिए मध्य प्रदेश पुलिस अभी से महाकुम्भ 2025 में यूपी पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के मॉडल को स्टडी कर रही है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रयागराज का दो दिनों का दौरा किया। महाकुम्भ 2025 में उत्तर प्रदेश पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था और क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट समेत अन्य व्यवस्थाओं को बारीकियों से समझने के लिए दोनों प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक हुई, जिसमें एमपी पुलिस ने महाकुम्भ में एआई के इस्तेमाल, साइबर क्राइम से निपटने के मैकेनिज्म आदि की जानकारी ली। उज्जैन के अधिकारियों ने कुम्भ मेला क्षेत्र के विभिन्न स्थानों का भ्रमण करके यूपी पुलिस की तैयारियों को देखा तथा समझा। तरुण कौशिक, पुलिस उपमहानिरीक्षक,एटीएस मध्य प्रदेश ने कहा कि अन्य प्रदेशों की पुलिस को उत्तर प्रदेश पुलिस के मॉडल को अपनाना चाहिए। मध्य प्रदेश पुलिस उज्जैन कुम्भ के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस से समन्वय बनाकर काम करेगी।
यूपी पुलिस की तैयारियों को सराहा
सहायक पुलिस आयुक्त राजकुमार मीणा ने बताया कि मध्य प्रदेश पुलिस के उच्च अधिकारियों का एक दल उज्जैन में 2028 में लगने वाले कुम्भ की तैयारियों के मद्देनजर प्रयागराज महाकुम्भ 2025 की उत्तर प्रदेश पुलिस की व्यापक सुरक्षा व्यवस्था को देखने के लिए प्रयागराज आया था। इन अधिकारियों के साथ बैठक करके महाकुम्भ मेला क्षेत्र और प्रयागराज जनपद में मेला क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था संबंधित सभी जानकारी साझा की गई है। पुलिस उपमहानिरीक्षक, तरुण कौशिक, एटीएस मध्य प्रदेश द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस तथा प्रयागराज पुलिस की सराहना की गई तथा यह भी कहा गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस और मध्य प्रदेश पुलिस के आपसी सहयोग से कुम्भ को दिव्य, भव्य के साथ सुरक्षित भी बनाना है। उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस की ट्रैफिक को लेकर पिछले करीब 3 साल से की जा रही तैयारियों को सराहते हुए उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस के अधिकारी सभी स्तर के पुलिस कर्मियों के रहने खाने तथा उनकी छोटी से छोटी जरूरतों का ध्यान रख रही है, जो सीखने लायक है।
साझा की गईं सुरक्षा संबंधी जानकारियां
सहायक पुलिस आयुक्त ने बताया कि मध्य प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक उज्जैन जोन, उमेश जोगा, पुलिस उपमहानिरीक्षक उज्जैन रेंज नवनीत भसीन, उप पुलिस अधीक्षक भारत सिंह यादव, उज्जैन एवं सूबेदार यातायात निवेश मालवीय को कानून व्यवस्था, सुरक्षा, यातायात प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, अनुमानित 40 करोड़ श्रद्धालुओ के बीच सुरक्षा और सुगमता के कार्यो के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का विभिन्न तरह से इस्तमाल, साइबर क्राइम के ख़तरों से बचाना, जल पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था आदि कई तरह की जानकारी दी गईं। मध्य प्रदेश पुलिस से आये हुए अधिकारियों को आईसीसीसी और कुम्भ मेला क्षेत्र के विभिन्न स्थानों का भ्रमण भी कराया गया।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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