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उत्तर प्रदेश

इस वर्ष यूपी में की गई 46942.15 मीट्रिक टन, जबकि पिछले वर्ष हुई थी 13340.30 मीट्रिक टन खरीद

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योगी सरकार ज्वार किसानों के साथ संबल बनकर खड़ी रही, जिससे 31 दिसंबर तक हुई ज्वार खरीद में लक्ष्य के सापेक्ष 104.32 प्रतिशत क्रय किया गया। 10704 किसानों से इस वर्ष 46942.15 मीट्रिक टन ज्वार की खरीद हुई है, जबकि पिछले वर्ष 13340.30 मीट्रिक टन खरीद हुई थी। योगी सरकार के प्रयासों से इस वर्ष बेतहाशा वृद्धि हुई। सरकार ने ज्वार किसानों को 140.76 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान भी कर दिया है।

46942.15 मीट्रिक टन हुई ज्वार खरीद

खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के तहत 31 दिसंबर तक ज्वार की खरीद हुई। इस वर्ष 46942.15 मीट्रिक टन ज्वार की खरीद हुई, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 13340.30 मीट्रिक टन था। इस वर्ष ज्वार खरीद का लक्ष्य 45 हजार मीट्रिक टन निर्धारित था, लेकिन योगी सरकार की किसान समर्थन नीतियों के कारण ज्वार खरीद बढ़ गई।

सरकार ने बढ़ाया था न्यूनतम समर्थन मूल्य

ज्वार को बढ़ावा देने के साथ ही सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाया था। ज्वार मालदांडी का 3421 रुपये, ज्वार (हाईब्रिड) का 3371 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया गया। ज्वार खरीद पहली अक्टूबर से प्रारंभ होकर 31 दिसंबर तक हुई। यह खरीद बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, कानपुर नगर-देहात, फतेहपुर, उन्नाव, हरदोई, मीरजापुर व जालौन में की गई।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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