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उत्तर प्रदेश

यूपी की इकोनॉमी को वन ट्रिलियन बनाने में होगा पर्यटन का अहम रोल

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लखनऊ। घरेलू पर्यटकों की आमद के अनुसार उत्तर प्रदेश लगातार तीसरे साल नंबर एक पर रहा। यह प्रदेश के लिए शुभ संकेत है। दरअसल आने वाले हर पर्यटक द्वारा रहने, खाने, परिवहन और खरीदारी का असर स्थानीय स्तर के रोजगार और अर्थव्यवस्था से जुड़ता है। इस खर्च से वहां के लोगों का जीवन स्तर सुधरता है। पर्यटकों द्वारा किया गया यह खर्च कालांतर में उस प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटकों की बढ़ती संख्या शुभ संकेत है। समग्रता में इस सेक्टर की ग्रोथ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस सेक्टर के हर संभव क्षेत्र (इको टूरिज्म, विलेज टूरिज्म, केन टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म आदि) पर फोकस है उसके मद्देनजर भविष्य में देश के पर्यटन का ग्रोथ इंजन बनेगा।

पर्यटकों की सुरक्षा, सुविधा और बेहतर आवागमन पर योगी सरकार का फोकस

प्रदेश में अधिक से अधिक संख्या में पर्यटकों का आगमन हो इसके लिए योगी सरकार उनकी सुरक्षा, सुविधा और बेहतर आवागमन के मद्देनजर लगातार काम कर रही है। मसलन उत्तर प्रदेश मौजूदा समय में सर्वाधिक एक्सप्रेस वे, इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला प्रदेश बन चुका है। कुल मिलाकर प्रदेश में तीन इंटरनेशन एयरपोर्ट संचालित है। एशिया का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर शीघ्र ही संचलन की स्थिति में आ जाएगा। यहां ट्रायल लैंडिंग हो चुकी है। इसके अलावा प्रदेश में कुल क्रियाशील हवाई अड्डों की संख्या 15 है। इसके अलावा 6 निर्माणाधीन हैं। इसी क्रम में 6 एक्सप्रेस वे संचालित हैं और 7 पर काम चल रहा है। कुछ पाइपलाइन में भी हैं। मेट्रो का विस्तार भी पर्यटकों की यात्रा को सुखद, सुरक्षित और आनंददायक बना रहा है।

पर्यटकों को वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाएं मुहैया करा रही योगी सरकार

योगी सरकार पर्यटकों को वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। साथ ही उनको अतिथि देवो भव की परंपरा के अनुसार उनको ऐसा सम्मान मिले कि यहां की यादें उनके दिलो दिमाग पर अमिट रूप से चस्पा हो जाय। सरकार इस बाबत भी प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री का मानना है कि ऐसा होने पर हर पर्यटक अपने यहां जाकर यूपी के ब्रांड एंबेसडर का काम करेगा। इसके बाबत सरकार टूरिस्ट गाइड्स का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। कुछ जगहों पर अलग से विशेष रूप से प्रशिक्षित पर्यटन पुलिस भी तैनात की गई है। उत्तर प्रदेश में पर्यटन के बढ़ते क्रेज के मद्देनजर कुछ शिक्षण संस्थाएं शहर विशेष के लिए भी स्पेशल कोर्स शुरू कर रही हैं। मसलन इग्नू ने काशी और आस पास के क्षेत्रों को केंद्र में रखकर टूरिज्म में डिग्री कोर्स चलाने की घोषणा की है। भविष्य में और शैक्षिक संस्थाएं भी ऐसा कर सकती हैं।

प्रदेश में पांच साल में आए पर्यटकों की संख्या करोड़ में

2020/ 8.70
2021/10.97
2022/32.18
2023/48.01
2024 (जून तक) 32.98

अगर सात साल की बात करें तो इस दौरान यूपी में आने वाले घरेलू और विदेशी पर्यटकों की संख्या 198.08 करोड़ रही। 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के मद्देनजर औसत संख्या में करीब 35 से 40 करोड़ तक की वृद्धि हो सकती है।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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