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उत्तर प्रदेश

डिजिटल महाकुम्भ: क्यूआर कोड स्कैन करते ही खुलेंगे महाकुम्भ सुरक्षा के चार डिजिटल दरवाजे

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महाकुम्भनगर| महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बेहद पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। इनमें डिजिटल तकनीक का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। पहली बार श्रद्धालुओं को महाकुम्भ के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से पल पल की अपडेट मिलेगी। श्रद्धालु अपनी बात सेकेंडों में बड़े पुलिस अफसरों से लेकर पूरे महकमे तक पहुंचा पाएंगे। महाकुम्भ पुलिस ने सुरक्षा के चार ऐसे डिजिटल दरवाजे बनाए हैं, जिनके माध्यम से यह सबकुछ पल भर में किया जा सकेगा। बस आपको क्यूआर कोड स्कैन करना होगा। ऐसा करते ही श्रद्धालु तुरंत सुरक्षा तंत्र के साथ जुड़ जाएंगे।

सुरक्षित महाकुम्भ की तैयारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार के महाकुम्भ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। उनके निर्देश पर देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। विशेष तौर पर सुरक्षा को लेकर व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की डिजिटल सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है। महाकुम्भ के एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया कि पहली बार यहां चार प्रकार के ऐसे क्यूआर कोड जारी किए गए हैं, जिन्हें स्कैन करते ही महाकुम्भ सुरक्षा के चार डिजिटल दरवाजे खुल जाएंगे। ये दरवाजे एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब होंगे। इनके रास्ते सुरक्षित महाकुम्भ की पूरी तैयारी योजनाबद्ध तरीके से कर ली गई है।

सोशल मीडिया से ऐसे जोड़ेंगे क्यूआर कोड

मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर महाकुम्भ पुलिस ने चार ऐसे क्यूआर कोड तैयार किए हैं, जिन्हें स्कैन करते ही श्रद्धालु सोशल मीडिया पर पुलिस के साथ जुड़ जाएंगे। इनमें एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के लिए अलग अलग क्यूआर कोड बनाए गए हैं। जैसे किसी ने एक्स वाले क्यूआर कोड को स्कैन किया तो वह तुरंत कुम्भ मेला पुलिस के पेज पर ले जाएगा। यहां आप हर पल की अपडेट तो पाएंगे ही, साथ में मैसेज करके किसी भी प्रकार की समस्या की सूचना दे सकेंगे। वरिष्ठ अधिकारी आपके मैसेज पाते ही अलर्ट हो जाएंगे। एक्स की ही तरह ही ये सुविधा इंस्टाग्राम और यूट्यूब के साथ साथ फेसबुक पर भी उपलब्ध रहेगी।

24 घंटे अलर्ट मोड पर रहेंगी डिजिटल आंखें

महाकुम्भ में डिजिटल आंखें 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहेंगी। जिससे जुड़कर श्रद्धालुओं को सुरक्षा संबंधी हर अपडेट मिलती रहेगी। यहां लोगों की सुविधा के मद्देनजर कमिश्नरेट प्रयागराज हैंडल और महाकुम्भ मेला हैंडल उपलब्ध रहेंगे। सुरक्षा और नई नई अपडेट के लिए इन्हे स्कैन किया जा सकता है। सुरक्षा के साथ साथ इस पर जनता की राय भी ली जाएगी। साथ ही आपातकालीन सूचनाएं भी यहां अपडेट की जाती रहेंगी।

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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