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भारत में (HMPV) वायरस ने दी दस्तक, अब तक 7 मरीज मिले

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नई दिल्ली। कोरोना का खौफ लोगों की जिंदगी से कुछ साल पहले ही गया है, लेकिन इस बीच अब एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है। चीन में इस समय एचएमपीवी (HMPV) वायरस फैल रहा है, कई मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा हुआ है कि मामले तेज गति से बढ़ रहे हैं, अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या में भी चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिली है। अब तो भारत में भी इस वायरस के तीन मामले सामने आ चुके हैं।

देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानी HMPV के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब नागपुर में 3 जनवरी को एचएमपीवी संक्रमण के दो मरीज मिले हैं। इनमें एक 7 साल का बच्चा और एक 14 साल की बच्ची शामिल हैं, जिनकी रिपोर्ट एचएमपीवी पॉजिटिव आई है। दोनों बच्चों को खांसी और बुखार की समस्या थी, जिसके बाद उनका टेस्ट किया गया और रिपोर्ट पॉजिटिव आई।

देश में अब तक 7 मरीज मिले

देश में अब तक इस संक्रमण के 7 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। नागपुर से पहले कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में सोमवार को पांच शिशुओं में HMPV संक्रमण की पुष्टि हुई। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि वह श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। HMPV वैश्विक स्तर पर श्वसन संबंधी बीमारी पैदा करने वाला वायरस है। हाल में चीन में इसके प्रकोप की खबरों ने दुनिया का ध्यान खींचा। यह एक वायरल रोगजनक है जो सभी आयु वर्ग के लोगों में श्वसन संक्रमण का कारण बनता है

राज्य सरकारों ने किया आश्वस्त

कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र की सरकारों ने आश्वस्त किया है कि घबराने की जरूरत नहीं है। वहीं दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी अस्पतालों को श्वसन संबंधी बीमारियों में संभावित वृद्धि से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने का निर्देश दिया। इस वायरस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस पर ध्यान दे रहा है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट शेयर करेगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में किसी सामान्य श्वसन वायरल संक्रमणों में कोई विशेष वृद्धि नहीं देखी गई है।

 

 

 

 

नेशनल

कौन हैं वी नारायणन, जो बनेंगे ISRO के नए अध्यक्ष

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वी नारायणन को इसरो का नया अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग का सचिव नियुक्त किया है। वी नारायणन 14 जनवरी से ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और साथ ही वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव का पद भी संभालेंगे। नियुक्ति समिति के आदेश के अनुसार वी नारायणन अगले दो सालों तक या आगामी आदेश तक इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर काम करेंगे।

कौन हैं इसरो के नए प्रमुख?

वी नारायणन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनके पास रॉकेट और अंतरिक्षयान प्रणोदन के क्षेत्र में चार दशकों का व्यापक अनुभव है। वह वर्तमान में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (Liquid Propulsion Systems Centre, LPSC) के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, जो इसरो के मुख्य केंद्रों में से एक है। वी नारायणन 1984 में ISRO में शामिल हुए और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक बनने से पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया। प्रारंभिक चरण के दौरान, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में साउंडिंग रॉकेट्स और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के ठोस प्रणोदन क्षेत्र में काम किया।

वी नारायणन ने एब्लेटिव नोजल सिस्टम, कंपोजिट मोटर केस और कंपोजिट इग्नाइटर केस की प्रक्रिया योजना, प्रक्रिया नियंत्रण और कार्यान्वयन में योगदान दिया। फिलहाल नारायणन एलपीएससी के निदेशक हैं, जो ISRO के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसका मुख्यालय तिरुवनंतपुरम के वलियामला में है, जिसकी एक इकाई बेंगलुरु में है। नारायणन के पास 40 साल का अनुभव है। वे रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट ऑपरेशन के एक्सपर्ट हैं।

14 जनवरी को रिटायर हो रहे एस सोमनाथ

ISRO के मौजूदा चेयरमैन एस. सोमनाथ ने 14 जनवरी 2022 को ISRO चेयरमैन का पद संभाला था। वे तीन साल के कार्यकाल के बाद रिटायर हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में ISRO ने इतिहास रचा। ISRO ने न सिर्फ चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई, बल्कि धरती से 15 लाख किमी ऊपर लैगरेंज पॉइंट पर सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-L1 भी भेजा।

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