नई दिल्ली। धार्मिक गुरु का चोला पहनकर लोगों को गुमराह करने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा अब ईडी की जांच के घेरे में है। अवैध धर्मांतरण से जुड़े मामले में गिरफ्तार किए गए छांगुर से पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिमांड के दौरान उसने स्वीकार किया कि उसकी संस्थाओं को पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों से फंडिंग मिलती रही है।
पाकिस्तान से फंडिंग का दावा
ईडी अधिकारियों द्वारा सख्त पूछताछ के दौरान छांगुर ने माना कि उसकी संस्थाएं पाकिस्तान से आर्थिक सहायता लेती थीं। हालांकि उसने इसे धर्म प्रचार से जोड़ते हुए सफाई दी कि “अपने मजहब का प्रचार करना गलत कैसे हो सकता है?” ईडी अब उसके विदेशों से जुड़े नेटवर्क और संपत्तियों की बारीकी से जांच कर रही है। छांगुर ने कबूल किया कि वह कई बार दुबई गया और वहाँ उसके अनुयायी रहते हैं। पूछताछ में उसने बताया कि दुबई यात्राओं का खर्च उसके समर्थकों ने उठाया और इन दौरों का उद्देश्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेना और जरूरतमंदों की मदद करना था।
जब ईडी ने पूछा कि वह नीतू उर्फ नसरीन को क्यों साथ ले जाता था और उसके नाम पर संपत्तियां क्यों खरीदी गईं, तो छांगुर ने जवाब दिया कि नीतू को धर्मांतरण के काम में प्रशिक्षित किया गया था। उसने यह भी कहा कि किसी पर धर्म बदलने के लिए दबाव नहीं डाला गया। ईडी को छांगुर के करीब 40 बैंक खातों का विवरण मिला है, जिनमें मध्य पूर्व और अन्य देशों से कुल 106 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा हुई। जांच में संकेत मिले हैं कि इन पैसों का उपयोग धर्मांतरण की गतिविधियों और संपत्ति खरीदने में किया गया। इनमें से कई जानकारियां पहले ही यूपी एटीएस के पास मौजूद थीं।
गुरुवार को ईडी की तीन सदस्यीय टीम ने छांगुर से कई घंटों तक सवाल-जवाब किए। उसके दुबई स्थित संपत्तियों की जानकारी भी अब एजेंसियों के हाथ में है, और जल्द ही इन पर कानूनी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।