नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे का वीडियो लीक होने को एमआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताया है।
वीडियो लीक होने को लेकर आपत्ति जाहिर करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह वीडियो फर्जी भी हो सकता है। सांसद ने कहा है कि यदि यह वीडियो सच भी है तो भी ज्ञानवापी मस्जिद थी, है और रहेगी।
असदुद्दीन ओवैसी ने आज मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”जो वीडियो मीडिया में (वीडियो) चला जा रहे हैं, वो बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में तो जजों ने कहा कि मीडिया को नहीं चलाना चाहिए। यह सलेक्टिवली कौन दे रहा है। ओवैसी ने कहा आप लीक कर लो, कुछ भी कर लो। 1991 का ऐक्ट है। ऐक्ट के मुताबिक 1947 में मस्जिद थी, मस्जिद है और रहेगी।”
कांग्रेस पर उठाए सवाल
ओवैसी ने आगे कहा, ”सबसे अहम सवाल यह कि कांग्रेस पार्टी जो मुझ पर आरोप लगाती है, गूंगी क्यों बनी हुई है। आप ही की सरकार ने यह कानून बनाया था। अगर आप 1991 के संसद की बहस देखेंगे तो उमा भारती ने चीख मारकर कहा था कि ज्ञानवापी का क्या होगा।
बीजेपी वह मोशन हार गई। संसद की इच्छा में यह बात शामिल है ना। 1991 का ऐक्ट है, आप कुछ नहीं कर सकते। वीडियो कुछ भी होगा। 1991 में हमने कानून बना दिया। पहली बात तो मैं वीडियो नहीं मानता, हो सकता है एडिट किया गया हो। यदि वीडियो सच भी हो तो कानून है।
वीडियो लीक में किसका हाथ?
बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे की कॉपी हिंदू पक्ष के वादीगणों को सौंपने का आदेश दिया।
वादीगणों ने एक शपथपत्र के जरिए वचन दिया कि वीडियोग्राफी सर्वे की प्रतिलिपि का दुरुपयोग या उसे लीक नहीं करेंगे। हालांकि, शाम को वीडियो लीक हो गया।
वादी पक्ष ने इससे पल्ला झाड़ते हुए मंगलवार को कोर्ट में सीलबंद लिफाफों को पेश किया और जांच की मांग की। कोर्ट ने लिफाफों को वापस नहीं लिया, लेकिन जांच की प्रार्थना स्वीकार कर ली।