समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ पर हुई चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल गाने का नहीं, बल्कि उसे निभाने का मंत्र है, लेकिन आज ‘‘दरार पैदा करने वाले’’ लोग इसी के जरिये समाज में विभाजन की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश ने आरोप लगाया कि आज सत्ता पक्ष हर उपलब्धि का श्रेय खुद लेना चाहता है। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग उन महापुरुषों और उपलब्धियों को भी अपना बताना चाहते हैं, जो वास्तव में उनके नहीं हैं। सपा प्रमुख ने कहा कि ‘‘वंदे मातरम्’’ कोई दिखावा या राजनीतिक मुद्दा नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है मानो इसे सत्तापक्ष ने ही गढ़ा हो।
उन्होंने उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि आजादी के बाद भी प्राथमिक विद्यालयों को बंद किया जा रहा है। उनके अनुसार, प्रदेश में 26,000 से अधिक स्कूल बंद हो चुके हैं, जो चिंताजनक है।
बीजेपी पर वार करते हुए अखिलेश ने कहा कि पार्टी के गठन के समय ही उसके नेताओं के बीच इस बात पर बहस थी कि बीजेपी धर्मनिरपेक्ष समाजवाद के रास्ते पर चलेगी या नहीं। इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। उन्होंने आरोप लगाया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के दबाव में ‘वंदे मातरम्’ को दो भागों में बांट दिया गया और बाद में पार्टी देश के बंटवारे तक के लिए झुक गई।
मोदी ने 1975 के आपातकाल का भी जिक्र किया और कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष पूरे हो रहे थे, तब देश आपातकाल की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था और संविधान को कमजोर किया गया था। उनके अनुसार, उस समय ‘वंदे मातरम्’ ही लोगों के लिए शक्ति और साहस का प्रतीक था। पीएम ने कहा कि मुस्लिम लीग के विरोध के चलते कांग्रेस नेतृत्व, खासकर नेहरू, दबाव में आ गए और वंदे मातरम् की समीक्षा तक शुरू कर दी, जबकि उन्हें लीग के बयानों का स्पष्ट विरोध करना चाहिए था।