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इस देश में हर महीने मनाया जाता है वैलेंटाइन डे, नाम जानकर चौंक जाएंगे आप!

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नई दिल्ली। वैसे तो पूरी दुनिया 14  फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हर साल नहीं बल्कि हर महीने की 14 तारीख को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है।

हम बात कर रहे है दक्षिण कोरिया की। दक्षिण कोरिया अपने आपमें एक बड़ा ही अजीबोगरीब देश है। यह देश अपनी अजीब मान्यताओं और अंधविश्वास के लिए प्रचलित है। इस देश की कई ऐसी रोचक बातें है जो इसे बाकी देशों से अलग बनाती है।

दक्षिण कोरिया में नंबर 4 से लोग बहुत डरते हैं। उनका मानना है कि नंबर 4 जब भी बोला जाता है तो वो ‘मौत’ शब्द जैसा प्रोनाउंस होता है, इसलिए वहां के लोग इस नंबर के इस्तेमाल से बचते हैं।

यहां तक कि इस देश में किसी भी बिल्डिंग में फिर चाहे वो अस्पताल, स्कूल, ऑफिस या कोई भी इमारत हो, वहां चौथा फ्लोर नहीं होता।

इस देश के लोग लाल स्याही (रेड इंक) के इस्तेमाल से भी परहेज रखते है, क्योंकि उन्हें लगता है कि लाल रंग मौत का सिंबल होता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि दक्षिण कोरिया भी भारत की तरह ही 15 अगस्त को आजाद हुआ था। 15 अगस्त, 1945 को इसे जापान से स्वतंत्रता मिली थी।

दक्षिण कोरिया के कुछ ऐसे कानून हैं जिन्हें सुनकर आप दंग रह जाएंगे।  यहां के कानून के मुताबिक, बच्चे के पैदा होते ही उसकी उम्र 1 साल मान ली जाती है।

यहां का हर आदमी अपनी असली उम्र से एक साल बड़ा होता है।  आपको बता दें, यहां आप कहीं भी बैठकर या खड़े होकर शराब पी सकते हैं फिर चाहें वो बार हो या शॉप, ट्रेनों में भी लोगों को यह छूट मिलती है।

यहां सड़कों या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में लगी वेंडिंग मशीन से भी शराब बेची जाती है। दक्षिण कोरिया में ब्लड ग्रुप को भी काफी अहमियत दी जाती है। यहां ब्लड ग्रुप से ही शख्स की अच्छाई और बुराई की पहचान होती है।

 

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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